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Mt. Abu : The Only Hill Station of Rajasthan : in Hindi

माउंट आबू : राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन : हिंदी में
Mt. Abu : The Only Hill Station of Rajasthan : in Hindi


         गुजरात से सटी राजस्थान की सीमा पर आबू रोड़ कस्बे के उत्तरी छोर पर है विश्व की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक, अरावली की तलहटी। इस तलहटी से सर्पीली सड़क पर चढ़ाई भरी 21 किलोमीटर की दूरी तय करने पर आता है राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू। नेचर फोटोग्राफी के शौकीन पर्यटक इस रास्ते से ही फोटोग्राफी शुरू कर सकते हैं। 
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पर्वतराज के नाम से जाना जाने वाला राजस्थान का यह एक मात्र हिल स्टेशन (hill station) अर्बुदांचल, अरावली की सर्वोच्च पहाड़ियों पर बसा है। यह राजस्थान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी गुरू शिखर के साथ-साथ जैन और हिन्दु धर्म के प्रसिद्ध मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहां महर्षि वशिष्ठ के प्राचीन आश्रम से लेकर देलवाड़ा (दिलवाड़ा) के विश्व प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित हैं। गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बसे गरासिया और अन्य आदिवासियों के लोक देवी-देवताओं सहित उनकी मान्यता के भी कई मंदिर माउंट आबू में तथा इसके आस—पास स्थित हैं। पूरे साल पर्यटकों की रौनक से भरा रहने वाला यह कस्बा बारिश के मौसम और अक्टूबर से दिसम्बर के महीने में टूरिज्म का एक कम्पलीट पैकेज बन जाता है। झीलों, झरनों, मंदिरों, वन क्षेत्रों के मनोहारी दृश्यों के साथ-साथ करोड़ों साल की यात्रा की गवाह चट्टानें अलग-अलग रूपों और आकृतियों में माउंट आबू की उम्र बयां करती हैं। सिरोही जिले के इस कस्बे की ऊंचाई समुद्र तल से 1220 मीटर है। शिमला की तरह कभी अंग्रेजों के प्रवास के खास हिल स्टेशन रहे माउंट आबू में आज भी देश-विदेश से पर्यटक साल भर आते रहते हैं।

माउंट आबू में कहां ठहरें

Best Places to Stay in Mt. Abu 

माउंट आबू शांत और सुरम्य स्थान है, अच्छी बात यह है कि यहां ठहरने के लिए अच्छे Resort, Hotels और Homestay की कोई कमी नहीं है। झील के किनारे स्थित होटल में ठहरने का अलग ही आनंद है।

माउंट आबू के प्रमुख दर्शनीय स्थल

गौमुख : भगवान राम के गुरु का आश्रम

Gaumukh : The Hermitage of Lord Rama's Guru

         गौमुख माउंट आबू का वह सबसे महत्वपूर्ण स्थान है जिसे ज्यादातर पर्यटक देखे बिना ही लौट जाते हैं। यहां महर्षि वशिष्ठ का आश्रम और साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना भगवान राम का मंदिर है। यहां आज भी रामकुण्ड स्थित है जिसका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। इसी आश्रम में महर्षि वशिष्ठ ने चार राजपूत वंशों की उत्पति के लिए अग्निकुण्ड में यज्ञ किया था। यहां जाने के लिए आबू कस्बे के पूर्व में जाकर हनुमान मंदिर से लगभग 700 सीढ़िया से और वर्षा वनों के बीच से गहरी घाटी में नीचे उतरना पड़ता है।

गुरू शिखर : अरावली की सबसे ऊंची चोटी

Guru Shikhar: highest peak of Arawali

         गुरू शिखर अरावली पर्वतमाला और राजस्थान की सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से 1722 मीटर है। आबू कस्बे से निकलने के बाद 15 किलोमीटर खूबसूरत नजारों से गुजरते हुए यहां पहुंचने पर लगता है कि आप राजस्थान के कश्मीर में आ गए हैं। फोटोग्राफी के लिए यहां चारों और मनोहारी नजारे दिखाई देते हैं। यहीं सबसे ऊंचाई पर भगवान दत्तात्रेय का एक छोटा सा मंदिर है। इस मंदिर तक जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं लेकिन बादलों और बारिश की फुहारों के बीच यह दूरी कम ही लगती है।

नक्की झील : विश्वामित्र ने नाखूनों से खोदी झील

Nakki Lake : Creation of Vishwamitra

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         राजस्थान की सबसे ऊंची मीठे पानी की यह झील यहां आने वाले पयर्टकों की सबसे पसंदीदा जगह है। कहा जाता है कि मुनि विश्वामित्र ने इस झील को अपने नाखूनों से खोद कर बनाया था। दिन का समय बिताने के लिए झील के किनारे एक सुंदर गार्डन और भारत माता का मंदिर है तो शाम को यहां बोटिंग का लुत्फ उठाया जा सकता है। यहां आने वाले पर्यटक नक्की रोड पर आर्टिफिशियल ज्वैलरी सहित कई प्रकार की शॉपिंग करते हैं। यहां की आइसक्रीम पर्यटकों को काफी पसंद आती हैं।

यह आर्टिकल भी पढ़ें: नौ कोनों वाली झील नौकुचियाताल की सैर

देलवाड़ा : 550 साल तक बने जैन मंदिर

Delwara : Jain Temples made in 550 years


         आबू कस्बे से 2 किलोमीटर दूर ही जैन तीर्थंकरों के यह प्राचीन मंदिर प्रमुखतः 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कई चरणों में बने। यहां पांच अलग-अलग मंदिर महावीर स्वामी मंदिर, विमल वसाही का आदिनाथजी मंदिर, करतार (खरतार) वसाही पार्श्वनाथजी मंदिर, भीमा शाह का ऋषभदेवजी पीतलहार मंदिर और तेजपाल-वस्तुपाल का नेमीनाथजी लूना वसाही मंदिर हैं। संगमरमर से बने यह मंदिर शिल्पकारी, नक्काशी, चित्रकारी और वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं। पच्चीकारी वाली छतें इन मंदिरों की खासियत हैं। मंदिर प्रमुखतः 1231 ईस्वी में तेजपाल और वास्तुपाल नाम के दो भाइयों ने बनवाया था। वैसे देलवाड़ा के इन मंदिरों का निर्माण 1031 से 1582 तक चला।

अधरदेवी मंदिर : ताण्डव के दौरान यहां गिरे थे शक्ति के अधर

Adhardevi Temple : A Shaktipeeth


         आबू से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बड़ी चट्टान के पीछे अधरदेवी (अर्बुदादेवी) का मंदिर है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 365 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। अधरदेवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक कात्यायनी का रूप मानी जाती है। कहा जाता है कि महादेव शिव के ताण्डव के दौरान माता शक्ति के अधर यहां गिरे थे। यहां अर्बुदा देवी की चरण पादुकाएं भी हैं। इन चरण पादुकाओं से दबाकर ही अर्बुदा देवी ने राक्षसों के राजा बासकली का संहार किया था। 

अचलेश्वर : यहां होती है शिव के अंगूठे की पूजा

Achleshwar : Shiva's Thumb is Worshiped here


         आबू से 10 किलोमीटर उत्तर की ओर यह मंदिर परमार और चौहान वंश के राजपूतों के इष्ट अचलेश्वर महादेव का है। यह मंदिर प्राचीन अचलगढ़ किले के पास है। कहते हैं यहां खण्डहर हो चुके पहाड़ी किले का 900 ईस्वी के आस-पास परमार शासकों ने निर्माण करवाया था जिसे बाद में महाराणा कुम्भा ने नया रूप दिया। यहां मौजूद अचलेश्वर महादेव मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां महादेव शिव के दाहिने अंगूठे की पूजा होती है। मान्यता है कि इसी अंगूठे पर पूरा अर्बुदांचल टिका हुआ है।

ट्रेवर्स टैंक : मगरमच्छों का तालाब

Travor's Tank : Pond of Crocodiles

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आबू से 5 किलोमीटर दूर ट्रेवर्स टैंक प्रकृति प्रेमियों के लिए एक पसंदीदा जगह है जिसे ट्रेवर नाम के ब्रिटिश इंजीनियर ने बनाया था। यह तालाब मगरमच्छों की ब्रीडिंग के लिए काम लिया जाता है। बारिश के मौसम में यहां का नजारा किसी जन्नत से कम नहीं होता

मा. आबू वाल्डलाइफ सेन्चुरी : भालुओं की जन्नत

Mt. Abu Wildlife Sanctuary : Paradise of Slothbears

         माउंट आबू के लगभग 288 वर्ग किलोमीटर इस क्षेत्र को 1960 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया। यहां तेंदुए, साम्भर, चिंकारा, भालू (स्लोथबियर), मोर, लंगूर, जंगली मुर्गे एवं सूअर, खरगोश, नीलगाय, बटेर आदि प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।

हनीमून और सनसेट पॉइंट: रोमांस की चट्टानें

Honeymoon and Sunset Point: Rocks of Romance

         ये दोनों स्पॉट हनीमून कपल्स के लिए बेहद रोमांचक स्पॉट हैं। यहां बैठकर सनसेट होते देखना हर कोई पसंद करेगा। यहां ऊंची पहाड़ियों से पश्चिम में जब सूरज डूबने वाला होता है तो निचले मैदानों में बहती एक छोटी सी नदी चांदी के एक तार की भांति चमक उठती है। डूबते सूरज की लालिमा में यहां से अनादरा गांव को निहार कर भी माउंट आबू की यादें सदा के लिए मन में समेटी जा सकती हैं।

माउंट आबू कैसे पहुंचें : How to Reach Mt. Abu


By Air: माउंट आबू दक्षिण राजस्थान के उदयपुर एयरपोर्ट से 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आबू बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।
By Road: माउंट आबू अहमदाबाद से 235 किलोमीटर, जयपुर से 495 किलोमीटर और दिल्ली से 765 किलोमीटर है।
By Train: माउंट आबू का नजदीकतम रेलवे स्टेशन आबूरोड़ मात्र 28 किलोमीटर है जो दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद जैसे सभी बड़े स्टेशनों से जुड़ा है।

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