How to go on Ramdevra Yatra in Hindi
रामदेवरा की पद यात्रा
रामदेवरा में हर वर्ष भादवा शुक्ल दूज से भादवा शुक्ल एकादशी पर रामदेव जयंती तक लक्खी मेला परवान चढ़ता है। इस साल 2018 में रामदेवरा मेला 10 सितम्बर से 19 सितम्बर को रामदेव जयंती तक चलेगा।
बाबा रामदेव का इतिहास
ramdevra history in hindi
राजस्थान के पोकरण की धरती जो पूरे विश्व भर में परमाणु परीक्षण के बाद चर्चा में आई, बाबा रामदेव और उनके वंशज इस धरती के शासक थे। पोकरण के रुणिचा धाम में राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता बाबा रामदेव का विशाल मंदिर है जहां 12 महीने पूजा अर्चना होती है और दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा को नमन करने आते हैं ।
कहते हैं पीरों के पीर रामापीर के दरबार में न कोई जात-पात है और न किसी एक मजहब का अधिकार। हिंदू समुदाय में उन्हें रामदेव जी और मुस्लिम उन्हें रामसापीर कहते हैं । ऐसा माना जाता है कि मध्यकाल में जब तुर्क, ईरान और अरब के शासकों द्वारा भारत में हिंदुओं पर अत्याचार कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था तो हिंदू मुसलमान एकता के लिए सैकड़ों चमत्कारी सिद्ध, सूफी और संत साधुओं का जन्म हुआ, उन्हीं में से एक थे रामसापीर बाबा रामदेव।
कहते हैं पीरों के पीर रामापीर के दरबार में न कोई जात-पात है और न किसी एक मजहब का अधिकार। हिंदू समुदाय में उन्हें रामदेव जी और मुस्लिम उन्हें रामसापीर कहते हैं । ऐसा माना जाता है कि मध्यकाल में जब तुर्क, ईरान और अरब के शासकों द्वारा भारत में हिंदुओं पर अत्याचार कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था तो हिंदू मुसलमान एकता के लिए सैकड़ों चमत्कारी सिद्ध, सूफी और संत साधुओं का जन्म हुआ, उन्हीं में से एक थे रामसापीर बाबा रामदेव।
रामदेवरा मेला
Ramdevra Fair
वैसे तो भादवा के पूरे महीने ही बाबा का मेला लगता है पर रामदेवरा में हर वर्ष हिंदी माह के कलैंडर के अनुसार भादवा शुक्ल दूज से भादवा शुक्ला एकादशी रामदेव जयंती तक लक्खी मेला परवान चढ़ता है, जिसमें लाखों की संख्या में लोग बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं। इस साल रामदेवरा मेला 10 सितम्बर से 19 सितम्बर को रामदेव जयंती तक चलेगा।
यह मेला दूज को मंगला आरती के साथ ही शुरू होता है। सांप्रदायिक सदभाव के प्रतीक इस मेले में शामिल होने व बाबा के दर्शन कर मन्नतें मांगने के लिए राजस्थान सहित पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, व अन्य राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालुजन पहुंचते हैं। कोई पैदल यात्रा करते हैं तो कोई बस ट्रेन और अन्य वाहनों के माध्यम से रामदेवरा पहुंचते हैं। मेले के अवसर पर जम्मा जागरण आयोजित होते हैं तथा भंडारों की भी व्यवस्था होती है। मेले में कई किलोमीटर लम्बी कतारों में लग कर भक्तजन बाबा के जय-जयकार करते हुए दर्शन करते हैं। इस मेले के अलावा माघ माह में भी मेला भरता हैं। जो लोग भादवा मेले मे नहीं आ पाते है वो माघ मेले में अवश्य शामिल होते हैं तथा मंदिर में पूरे भक्तिभाव से धोक लगाते हैं।
कैसे पहुंचे रामदेवरा
How to reach Ramdevra
वैसे तो हजार-हजार किलोमीटर से लोग बाबा के दर्शन के लिए पैदल आते हैं। रामदेवरा में मेले के वक्त प्रशासन द्वारा यात्रियों के लिए अलग से बसों का भी इंतजाम किया जाता है पर आप साल भर में कभी भी रामदेवरा दर्शन के लिये जा सकते हैं। रेलवे ,बस और सड़क मार्ग से आप आसानी से रामदेवरा पहुँच सकते हैं। जयपुर से रामदेवरा की दूरी तकरीबन 430 किलोमीटर है और जोधपुर से 190 किलोमीटर है। यदि आप बीकानेर की तरफ से आ रहे हैं तो तकरीबन 209 किलोमीटर की दूरी पड़ेगी।
सड़क से रामदेवरा कैसे पहुंचें
यदि सड़क मार्ग से खुद की गाड़ी ले जा रहे हैं या बस द्वारा रामदेवरा जाते हैं तो जोधपुर से लगभग 175 किमी का सफर तय करने के बाद जैसलमेर के पोकरण में पहुँचेंगे। वहां से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर रुणिचा धाम में बाबा रामदेव जी का स्थान है। बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर और अन्य रोडवेज बस स्टैंड से रामदेवरा की सीधी बसें आसानी से मिल जाती हैं। मेले के समय एक्स्ट्रा बसों का इंतजाम भी प्रशासन द्वारा किया जाता है।
ट्रेन से रामदेवरा कैसे पहुंचें
रामदेवरा तक तक़रीबन 8 से 10 ट्रेन चलती हैं। भारत के करीब भी राज्य से आते हैं तो जोधपुर तक की ट्रेन आसानी से मिल जायेगी और हो सकता है कि आपके शहर से रुणिचा धाम राजस्थान के रामदेवरा तक सीधी ट्रेन चलती हो, इसलिये आईआरसीटीसी या अपने नजदीकी रेलवे बुकिंग केंद्र से रामदेवरा स्टेशन तक का टिकट पहले ही बुक करवा लें ताकि आप को यात्रा में कोई तकलीफ न हो। रामदेवरा रेलवे स्टेशन से मंदिर तक आसानी से साधन मिल जाते हैं।
हवाई मार्ग से रामदेवरा कैसे पहुंचें
यदि आप हवाई यात्रा के माध्यम से जाना चाहते हैं तो आपको जोधपुर एयरपोर्ट पर उतरना होगा वहां से आप टैक्सी कर सकते हैं और लगभग 190 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद आप रामदेवरा पहुँच जायेंगे।
दर्शनीय स्थल
बाबा रामदेव समाधि के साथ ही रामदेवरा में डाली बाई की जाल, पंच पीपली, भैरव राक्षस गुफा, रामसरोवर,परचा बावड़ी, डाली बाई का कंगन,पालना झूलना, राणीसा का कुआं इन जगहों पर भी जरूर जाना चाहिए और चाहें तो पोकरण फोर्ट भी घूमने जा सकते हैं।
भंडारे और विश्राम स्थल
रामदेवरा जाने वाले पदयात्रियों के लिए बाबा के भगतों द्वारा जगह- जगह भंडारे लगाये जाते हैं। जहां पैदल यात्रियों के लिए विशेष रूप से रात्रि विश्राम और भोजन की निशुल्क व्यवस्था होती है ताकि बाबा के भक्तों को तकलीफ न हो। रामदेवरा में रुकने के लिए कई समाज और ट्रस्ट की धर्मशालएं हैं और काफी सारे होटल्स भी हैं जहां रात्रि विश्राम कर सकते हैं।
बाबा रामदेव जी की मान्यताएं
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हाजरी ( नगाड़ा )
रामदेव मंदिर में रखा 600 साल से भी पुराना नगाड़ा है। यह नगाड़ा रामदेवजी की कचहरी में रखा हुआ है। जो श्रद्धालु बाबा के दर्शनार्थ आते हैं, वे नगाड़ा बजाकर बाबा को अपनी हाजरी जरुर देते हैं।
घोड़ा (घोड़लियो)
घोड़लियो का अर्थ है घोड़ा। यह बाबा रामदेव जी की सवारी है, इसलिए घोड़लियो की पूजा अर्चना की जाती है।
गुग्गल धूप
बाबा ने अपने परम भक्त हरजी भाटी को यह सन्देश देते हुए कहा कि 'हे हरजी संसार में मेरे जितने भी भक्त हैं उनको यह सन्देश पहुंचा कि गुग्गल धूप खेवण से उनके घर में सुख-शांति रहेगी एवं उस घर में मेरा निवास रहेगा।
जम्मा जागरण
रामदेवरा में प्रतिमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मंदिर के आगे ही जम्मे का आयोजन होता है। रात को मंदिर के पट बंद होने के बाद से ही यहाँ पर जम्मा शुरू हो जाता है जो कि अल सुबह तक चलता है। जम्मे में भक्त रात भर रामदेव जी का भजनों का आनंद लेते हैं।
डाली बाई का कंगन
रामदेव जी के मंदिर एक पत्थर कंगन बना हुआ है। इसे डाली बाई के कंगन के नाम से जाना जाता है। यह कंगन डाली बाई की समाधि के पास ही स्थित है। इस कंगन के गोले के बीच में से निकलने पर सभी रोग-कष्ट दूर हो जाते हैं व समृद्धि की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है।
पगलिया (पद-चिन्ह)
सभी देवताओं के शीश की वंदना होती है, जबकि बाबा रामदेव एकमात्र ऐसे देव हैं जिनके पद चिन्ह पूजे जाते हैं।
रामदेव जी के व्रत दिन
व्रत धार्मिक आस्था के साथ ही स्वास्थ्य में भी लाभकारी होता है। बाबा रामदेवजी ने अपने अनुयायियों को दो व्रत रखने का उपदेश दिया। प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की दूज व एकादशी उपवास के लिए अति उत्तम मानी जाती है और बाबा के अनुयायी आज भी इन दो तिथियों को बड़ी श्रद्धा से उपवास रखते हैं |
भक्त मंदिर में ये चढ़ावे चढ़ाते हैं
मंदिर में भक्तों द्वारा खिलौनों के रूप में चावल, नारियल, चूरा और लकड़ी के घोड़े रामदेवजी को पेश किए जाते हैं।
रामदेव जी के भजन और आरती
Ramdevra aarti and bhajan
ओ रुणिचा रा धणीया ,अजमाल जी रा कंवरा, माता मेणादे रा लाल ,रानी नेतल रा भरतार , म्हारो हेलो सुनो जी रामा पीर जी।
रुण झुण बाजे घुघरा जी कोई, पश्चिम दिशा रे मावा जी कोई
जय अजमल लाला प्रभु, जय अजमल लाला भकत काज कलयुग में लीनो अवतारा, जय अजमल लाल
पिछम धरां सूं म्हारा पीर जी पधारिया घर अजमल अवतार लियो ।
जय जय रामदेव जयकारी, तुम हो सुख सम्पत्ति के दाता बाल रूप अजमल के धारा दुखियों के तुम हो रखवारे ।
खम्मा खम्मा हो धनिया रूणी छे रा...
कुकू रा पगला मांड्या म्हारा रामदेव जी बड़ो तो बीरम देव छोटा रामदेव जी खम्मा खम्मा।
बाबा रामदेव जी के जयकारे
जय बाबा रामदेव जी री
बोलो रामदेव पीर की जय
जय बाबा री
रामसा पीर की जय
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