Header Ads

Astrology (Indian)- Importance of date in hindi

ज्योतिष (भारतीय)  में तिथि का महत्व
ज्योतिष (भारतीय)  में चन्द्रमा की एक कला को तिथि कहते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में तिथि को ही मिती के नाम से पुकारा जाता है। विक्रम सम्वत्सर का प्रारंभ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से होता है तथा अन्त चैत्र कृष्णपक्ष की अमावस्या को होता है। जिस रात्रि में चन्द्रमा बिल्कुल दिखाई नहीं देता, वह तिथि कृष्णपक्ष की अमावस्या कही जाती है। कृष्णपक्ष की अमावस्या के दूसरे दिन से शुक्लपक्ष की प्रतिपदा आरंभ होती है।
Free illustration: Astrology, Horoscopes - Free Image on Pixabay ...

ज्योतिष (भारतीय)  में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष

जिन पन्द्रह दिनों में चन्द्रमा प्रतिदिन आकाश में थोड़ा-थोड़ा बढ़ना आरंभ होता है तथा पन्द्रहवें दिन अपने पूर्णरूप में दिखाई देता है, उसे शुक्लपक्ष कहते हैं तथा बाद के जिन पन्द्रह दिनों में चन्द्रमा आकाश में प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा करके घटने लगता है तथा पन्द्रहवें दिन बिल्कुल दिखाई नहीे देता है, उसे कृष्ण पक्ष कहते हैं। इस प्रकार प्रत्येक महीने में पन्द्रह-पन्द्रह दिन के दो पक्ष हुआ करते हैं- 1. शुक्ल पक्ष और 2. कृष्ण पक्ष।
पक्ष को आम बोलचाल की भाषा में पखवाड़ा कहा जाता है। हालांकि नवीन संवत्सर का प्रारंम्भ चैत्र माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से होता है, परन्तु प्रत्येक मास का प्रारंभ कृष्ण पक्ष से ही माना जाता है। मतलब प्रत्येक महीने का पहला आधा भाग कृष्णपक्ष का और दूसरा आधा भाग शुक्लपक्ष का होता है।

ज्योतिष (भारतीय)  में पूर्णिमा और अमावस्या

Omen - Wikipediaशुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से जो पन्द्रह दिन की पन्द्रह तिथियां होती हैं, उन्हें क्रमशः 1. प्रतिपदा  2. द्वितीया  3. तृतीया 4. चतुर्थी 5. पंचमी 6. षष्ठी 7. सप्तमी 8. अष्ठमी 9. नवमी 10. दशमी 11. एकादशी 12. द्वादशी 13. त्रयोदशी 14. चतुर्दशी 15. पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसके बाद कृष्ण पक्ष की तिथियों को भी प्रतिपदा से चतुर्दशी तक इन्हीं नामों से पुकारा जाता है परन्तु कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि या पन्द्रहवीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। दोनों पक्षो की प्रतिपदा से चतुर्दशी तक की तिथियों को अंकों में 1, 2, 3, 4 आंदि अंकों में भी लिखा जाता है लेकिन पूर्णिमा को 15 तथा अमावस्या को 30 अंक के रूप में लिखा जाता है।

No comments

Powered by Blogger.