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Indian Astrology : Cure Diseases through Gemstones in hindi

रत्न धारण कर पाएं रोगों से निजात

@hindihaat
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में रत्न मणियां धारण कर ग्रहों का प्रभाव अनुकूल करने की मान्यता है। वहीं रत्न धारण करने से कई प्रकार की बीमारियों से भी मुक्ति पाई जा सकती है। रत्न विज्ञान में यह भी कहा गया है कि ग्रहों के अनुसार रत्न धारण करने से कई असाध्य रोगों में भी राहत मिलती है।

आइए जानते हैं कि कौनसे बीमारियां दूर करने के लिए कौनसा रत्न और कौनसी धातु धारण करना लाभप्रद होता है।

गठिया (Arthritis)

        गठिया या गठियाबाय Arthritis वात की अधिकता से पनपने वाला रोग है। खासकर शरीर के निचले हिस्से अर्थात कमर के नीचे इस रोग का अधिक प्रभाव होता है और इसमें जोड़ों में दर्द रहने लगता है। शरीर में यूरिक अम्ल Uric Acid का संतुलन डगमगाने से यह रोग पनपता है। खून में पाए जाने वाले इस अम्ल के बढ़ जाने से गठिया पैदा होता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस बीमारी का असर बढ़ने लगता है और शरीर के जोड़ों में तेज दर्द होने लगता है।

ज्योतिषीय मान्यता

ज्योतिष मतानुसार मिथुन Gemini, कुंभ Aquarius तथा तुला Libra राशि वाले व्यक्ति गठिया के शिकार होते हैं। लग्न में बृहस्पति Jupiter होने तथा शनि Saturn के सातवें भाव में होने से इस रोग की आशंका होती है। मीन Pisces, मकर Capricorn, कन्या Virgo, सिंह Leo तथा वृष Taurus राशियों में शनि-राहु का योग तथा मंगल की सीधी दृष्टि होने से वातजनित रोग पैदा होने की प्रबल आशंका होती है। राहु वात रोगों को जगह देता है और सूर्य कमजोर होने से भी गठिया हो सकता है।

ज्योतिषीय उपचार

गठिया से बचने के लिए रत्न चिकित्सा शास्त्र में पीली धातु और पीले रत्नों को उत्तम बताया गया है। गठिया से पीड़ित व्यक्तियों को सोना या ताम्बा इस प्रकार धारण करना चाहिए कि यह शरीर को स्पर्श करते रहें। वहीं गोमेद और पीला पुखराज धारण करने से भी गठिया रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है।

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मुहांसे (Pimples)


        खून में गड़बड़ी के कारण होने वाले मुहांसे किशोरों और नवयुवकों की बड़ी समस्या होता है। उम्र के अगले पड़ाव में आने पर शरीर में होने वाले बदलावों के कारण शरीर में रासायनिक संतुलन बिगड़ जाता है और चेहरे पर कील-मुहांसों और मस्सों के निशान पड़ जाते हैं। स्वेद ग्रंथियों से स्त्रावित होने वाला सीबम तत्व ही इनका प्रमुख कारण है। इसके कारण चेहरे की त्वचा पर चिकनाई तत्वों की अधिकता बढ़ जाती है जिससे धूल-मिट्टी से संक्रमण होता है और मुहांसे होने लगते हैं।

ज्योतिषीय मान्यता

वृश्चिक और मेष राषि के व्यक्तियों के मुहांसे अधिक होते हैं। चेहरे और कंधों पर मुहांसे निकलने की प्रबल आशंका तब होती है जब पीड़ित शुक्र और केतु का संचार मेष, तुला तथा मकर राशियों में हो और इन पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि हो।

ज्योतिषीय उपचार

रत्न विज्ञान के अनुसार मध्यमा अंगुली में चांदी की अंगूठी में आठ से दस रत्ती तक का मूंगा पहनने से मुहांसों का प्रभाव कम होता है। सही मूंगा नहीं मिले तो केवल चांदी की अंगुठी भी पहनी जा सकती है। मध्यमा अंगुली में ही चार से छह रत्ती का असली मोती पहनने से भी मुहांसों का प्रभाव कम पड़ता है परंतु इसके साथ कनिष्ठा अंगुली में लाजवर्द धारण करना पड़ता है।

सबलबाय (Glaucoma)

        आंखों का एक बहुत ही गम्भीर रोग है सबलबाय। प्रदूषण तथा चूल्हे के धुएं के कारण यह रोग पैदा होता है। आंखों से लगातार पानी जैसा द्रव निकलना इस सबलबाय का प्रमुख लक्षण है जिसके कारण आंखें भारी रहने लगती हैं और धुंधला दिखाई देने लगता है। इस रोग का समय पर उपचार नहीं हो तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। आंखों का गोल हिस्सा सूजने लगता है। सिर में दर्द होना, पेट में दर्द रहना तथा उल्टी आना इस रोग के बढ़ने के लक्षण हैं। 

ज्योतिषीय मान्यता

ज्योतिषीय मत है कि लग्न के दूसरे या बारहवें भाग में पाप ग्रहों की दृष्टि और सूर्य एवं चंद्रमा के एक ही अंश पर स्थित होने से सबलबाय बीमारी के होने की आशंका होती है। कर्क लग्न पर शनि, मंगल या राहु की दृष्टि भी सबलबाय का कारण बनती है।

ज्योतिषीय उपचार

सबलबाय रोग के होने पर इससे पीड़ित व्यक्ति को मून स्टोन या सफेद धारण करना चाहिए। रत्न चिकित्सा विज्ञान के अनुसार पन्ना और माणिक्य धारण करना भी इस रोग में लाभप्रद होता है।

सिरदर्द (Headache)

        हालांकि सिरदर्द को कोई बीमारी या रोग तो नहीं कहा जाता मगर इससे पीड़ित व्यक्ति की स्थिति कई बार गम्भीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति से भी बुरी हो जाती है। अक्सर हम कोई पेनकिलर टैबलेट लेकर सिरदर्द से राहत महसूस करते हैं, मगर यह कोई स्थाई इलाज नहीं है। वैसे सिरदर्द ऐसी तकलीफ है जो अक्सर हम सभी को कभी न कभी सताती रहती है। काम की अधिकता, तनाव, देर रात तक काम करना, चिंता व अवसाद, दृष्टि में कमी आना तथा मौसम में बदलाव जैसे कई कारणों से हमें सिरदर्द की तकलीफ झेलनी पड़ती है।

ज्योतिषीय मत

स्नायुओं का कारक है बुध ग्रह। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चन्द्र लग्न पर पाप ग्रहों की नजर पड़ने से सिरदर्द की तकलीफ पैदा होती है। सूर्य तथा चंद्रमा पर शनि और मंगल की कुदृष्टि पड़ने से भी तेज सिरदर्द की शिकायत होती है। कई बार आधे सिर में भी दर्द की शिकायत देखी जाती है। यह शिकायत मेष राशि पर शनि, राहु तथा केतु की दृष्टि से पैदा होती है। एक अन्य मत के अनुसार मंगल-राहु तथा सूर्य-शनि के योग के कारण भी यह पीड़ा होती है।

ज्योतिषीय उपचार

रत्न चिकित्सा शास्त्र के अनुसार इस पीड़ा का उपचार मोती, पन्ना या माणिक्य को धारण कर किया जा सकता है। नौरत्नों को पेंडेंट गले में धारण करने से भी सिरदर्द की तकलीफ से छुटकारा मिलता है। वहीं नीलम या पुखराज को चांदी या ताम्बे की अंगूठी में पहनने से भी सिरदर्द से निजात मिलती है।

नोटः- यद्यपि यह आर्टिकल ज्योतिषशास्त्र के विद्वानों से मिली जानकारी और उनके द्वारा लिखित साहित्यों पर आधारित है। फिर भी हिंदीहाट रत्न धारण करने से मिलने वाले फलों का दावा नहीं करता।

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