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How to do CPR in Hindi

सीपीआर से हृदय गति और सांस को दोबारा कैसे शुरू करें
Pic 1 ANA learns CPR | An instructor shows 40 Afghan Nationa… | Flickr


हृदय रोग आज दुनिया में असमय होने वाली मौतों की एक बड़ी वजह बन चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष करीब 20 लाख लोग heart attack हृदयाघात यानी दिल का दौरा झेलते हैं। कई प्रकार के हृदय रोगों में कुछ जन्मजात भी होते हैं,लेकिन अधिकांश हृदय रोग समय के साथ विकसित होते हैं, हमारी अनियंत्रित जीवन शैली इनका एक बड़ा कारण होती है। इसीलिए इन्हें life style disease भी कहा जाता है।
आमतौर पर हमें जो heart disease सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, वह है हृदय  की रक्त धमनियों का रोग, जिसे अंग्रेजी में coronary artery disease कोरोनरी हृदय रोग भी कहते हैं । इस हृदय रोग के अतिरिक्त heart valve diseases हृदय के वाल्व सम्बन्धी रोग भी होते हैं। चारों वाल्वों में एक या एक से अधिक वाल्वों के खराब हो जाने से कभी-कभी ऐसी आपातकालीन स्थिति medical emergency उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण first aid प्राथमिक चिकित्सा जीवन रक्षा के लिए अत्यन्त आवश्यक हो जाती है l

How do you know when the heartbeat stops
हृदय गति रुकने के लक्षण  

हृदय रोगों में सबसे कठिन स्थिति होती है- हृदय गति रुकने के कारण मौत की आशंका। शारीरिक परिश्रम करते हुए, दौड़ते हुए बिजली के झटके से या चलते-चलते अचानक गिर जाना, खेलते हुए या तैरते हुए अथवा कड़ाके की ठंड के कारण बेहोश हो जाना हृदय गति रुकने के लक्षण हैं। दिमागी सदमा यानी mental shock से, धूप और गर्मी में अधिक चलने से या भी़ड़ भाड़ वाले स्थान पर घुटन के कारण मूर्छित हो जाना भी दिल की धड़कन रुकने का लक्षण हो सकता है। कई बार नींद में हृदय गति रुक जाती है । वाहन चलाते हुए भी अचानक हृदय गति अवरुद्ध हो सकती है l जब कभी हमें इस तरह की परिस्थिति दिखाई दे तो हम सीपीआर यानी कृत्रिम श्वसन एवं दाब देकर बेहोश हुए व्यक्ति का जीवन बचा सकते हैं। सीपीआर की फुल फॉर्म है Cardiopulmonary Resuscitation. सीपीआर हिंदी में हृत्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन कहा जाता है। CPR का जरूरी ज्ञान और प्रशिक्षण लेकर दिमाग ठंडा रखते हुए तत्परता से इसका उपयोग कर पीड़ित व्यक्ति का जीवन बचाया जा सकता है।

Signs of Unconsciousness बेहोशी के लक्षण

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प्राथमिक चिकित्सा यानी First aid देने से पहले यह पता लगाना होता है कि बेहोश व्यक्ति की  हृदय गति रुक गई है या नहीं। मूर्छित दिखने वाला व्यक्ति केवल मूर्छित है या धड़कन बंद हो जाने के कारण मर चुका है l ऐसे कुछ लक्षण हैं जिनके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि बेहोश व्यक्ति मृत है या केवल बेहोश ही है। यह लक्षण हैं।
  • शरीर की निष्कियता जैसे सिर, हाथ-पैरों में किसी तरह की हलचल नहीं होना । हाथ या पैर को ऊपर उठाने पर निर्जीव होने के कारण उनका तुरन्त नीचे गिर जाना ।
  • आंखों की पुतली का बड़ा और निष्किय हो जाना ।
  • सांस बन्द हो जाना ।
  • नाड़ी का रुक जाना ।
  • हृदय गति रुक जाने से शरीर में खून का बहना रुक जाता है और नाड़ी लुप्त हो जाती है । इन सब लक्षणों में सबसे महत्वपूर्ण लक्षण यही है ।
हृदय गति रुकने का पता चलने पर तत्परता बरत कर तुरन्त कार्यवाही करनी होती है , नहीं तो बचाव मुश्किल है।

What happens when heartbeat stops
दिल की धड़कन रुकने पर क्या होता है  


हृदय गति के रुक जाने से विभिन्न अंगों में  रक्त संचालन बन्द हो जाता है। इसका तत्काल और सबसे पहले प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है । अगर चार मिनट के अन्दर रक्त  का प्रवाह फिर शुरू नहीं होता है तो दिमाग की कोशिकाएं पूरी तरह काम करना बन्द कर देती हैं। इसे bra।n death या मस्तिष्क की मृत्यु कहते हैं । मुख्य बात यह है कि card।ac death हृदय की मृत्यु और मस्तिष्क की मृत्यु यानी ब्रेन डेथ में 4 मिनट का समय होता है। इस अमूल्य समय में व्यक्ति को जीवन दान दिया जा सकता है । इसके बाद जीवन बचा पाना बहुत मुश्किल होता है और अगर प्राण रक्षा हो भी गई तो उस व्यक्ति के मस्तिष्क का पूर्व स्तर कभी लौटकर नहीं आ पाएगा। उसके सोचने- समझने की क्षमता और स्मरण शक्ति पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है।
इन चार मिनटों में दो बातें सबसे अधिक जरूरी हैं, एक तो हृदय स्पंदन यानी heart beat को लौटाना और कृत्रिम श्वसन क्रिया से फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाना। हमें इन दोनों कार्यों को साथ-साथ करना होगा, जिसे मेडिकल भाषा में Cardiopulmonary Resuscitation यानी सीपीआर कहते हैं।

CPR steps in Hindi सीपीआर कैसे करें

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बीमार व्यक्ति की नाड़ी और ऊपर बताए गए लक्षणों आदि से जैसे ही लगे कि हृदय गति रुक गई है तो हमें ये सीपीआर के कदम CPR steps उठाने चाहिए।
  • रोगी को तुरंत धरती पर या धातु या लकडी के पलंग पर लिटा दें । यह ध्यान रखें कि पलंग या बेड स्प्रिंग वाला या गद्देदार नहीं होना चाहिए, नहीं तो आगे के प्रयास बेकार हो जाएंगे।
  • फिर रोगी के सिर को पीछे की ओर ले जाएं और ठोड़ी को ऊपर उठा लें ।  
  • कभी-कभी व्यक्ति की छाती की हड्डी के निचले भाग पर मुक्का मारने से हृदय-गति लौट अाती है । इसका पता नब्ज जांचने से लग जाएगा।  
  • अगर इस विधि से सफलता न मिले तो तुरंत बाएं हाथ की हथेली को सीने के बीच की हड्डी यानी sternum के निचले भाग पर फैला के रखें और फिर दायें हाथ की हथेली को बाएं हाथ के ऊपर 90 डिग्री के कोण से रखें। फिर सीने की हड्डी को झटके से नीचे दबाएं जिससे यह 5 सेमी नीचे चली जाए।फिर झटके से इस पर हाथों का दबाव हटा लें।  हाथों को सीने पर से बिलकुल भी नहीं हटाना चाहिए। इस तरह की प्रक्रिया एक मिनट में 30 बार करनी चाहिए क्योंकि हृदय का स्पंदन वयस्क व्यक्ति में आम तौर पर एक मिनट में 70-80 बार होता है।
  • इसके साथ ही कृत्रिम श्वास क्रिया भी अति आवश्यक है। इसके लिए एक और व्यक्ति का होना ज्यादा फायदेमंद होगा। अगर एक ही व्यक्ति दोनों कार्य करेगा तो पहले कार्य को करने में कठिनाई आएगी।
  • इस प्रक्रिया में कृत्रिम श्वास देने वाला व्यक्ति जोर से सांस लेकर अपने फेफडों में पूरी हवा भरता है। फिर अपना मुंह पीड़ित व्यक्ति के मुंह पर रखकर श्वास उसके मुंह में छोड़ देता है। इस दौरान ध्यान रखें कि पीड़ित व्यक्ति की नाक अपने अंगूठे और पहली उंगली से बन्द रखें लेकिन उसका मुंह खुला रहे।  सांस छोड़ने का यह काम एक मिनट में 15 बार करना होता है । ये दोनों कार्य करते हुए रोगी की नाड़ी परीक्षा करते रहना चाहिए।
अगर हृदय स्पन्दन पुनः आ गया तो नाड़ी में रक्त प्रवाह सामान्य रूप से होने लगेगा, रोगी की आंखें खुल जाएंगी और वह इधर-उधर देखने लगता है। उसकी श्वास प्रक्रिया स्वाभाविक हो जाएगी।
यह शीघ्र निर्णय लेने, ठंडे दिमाग से काम करने और परीक्षा की घड़ी होती है। डॉक्टर के पास मरीज के पहुंचने तक हृदय की यह प्राथमिक चिकित्सा करते जाना चाहिए। थोड़े से प्रयास से इन सरल प्रक्रियाओं का अभ्यास किया जा सकता है और पीड़ित व्यक्ति की जीवन रक्षा की जा सकती है।  

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