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All About Saraswati Puja in Hindi

वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा
हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां

हिंदी पंचाग के अनुसार माघ मास की पंचमी के दिन वसंत पंचमी का पर्व हर्षोउल्लास से मनाया जाता है इसी दिन ऋतू चक्र में भी परिवर्तन होता है वसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतू के समापन के साथ ही बसंत ऋतू का आगमन होता है  बसंत ऋतू को सभी ऋतुओ का राजा भी कहा जाता है.
सरसो के पीले फूलो वाली फसल खेतो में लहलहाने लगती है चारो ओर माहौल खुशनुमा हो जाता है,वसंत पंचमी के दिन विद्या और वाणी की देवी माँ सरस्वती की पूजा बहुत शुभ होती है. बसंत पंचमी के दिन को माँ सरस्वती के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. साथ ही इस दिन को सरस्वती पंचमी के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना भी शुभ माना जाता है
               सरस्वती पूजा Sarasvati Pooja

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
बसंत पंचमी के दिन को विद्या और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, इस दिन,छात्र ज्ञान की देवी सरस्वती की प्रार्थना करते हैं पीले फूल चढ़ाते है और नई स्टेशनरी का उपयोग शुरू करते है, स्कूल कॉलेज और विभिन शिक्षण संस्थानों में इस दिन माँ सरस्वती की पूजा के साथ ही माँ की वंदना के बाद सांस्कृतिक कार्क्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमे बच्चे पीले रंग के वस्त्र पहन अपनी-अपनी  प्रस्तुतिया देते है, इस दिन सरस्वती  पूजा को बहुत शुभ माना जाता है,ये दिन ज्ञान, शुद्धता और सच्चाई का प्रतीक है. नई  शिक्षा शुरू करने के लिए ये दिन उत्तम और उपयुक्त  है.
सरस्वती नमस्तुभ्यं वर्दे कामरूपिणी
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।

हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूँ। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे इस कार्य में सिद्धि मिले।
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  पीले रंग का महत्व

ऐसा मानना है की पीला रंग इस उत्सव के लिए एक विशेष महत्व  रखता है,अधिकांश लोग पीले वस्त्र धारण करते है,ऐसा मानना है की ये रंग आध्यातम का रंग है। चारो ओर सरसो के पीले रंग वाली फसल पर जब सूरज की किरणे टकराती है तो माहौल खुशनुमा हो जाता है. यह चमकदार पीले रंग की धूप, प्रकृति की  जीवंतता का प्रतीक है।

                         बसन्त पंचमी की कथा

शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों और  मनुष्य योनि की रचना की।  ऐसा मानना है की  ब्रह्मा जी अपनी संरचना  से  संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी रूपी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा जी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई।
जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को शारदा, वीणावादनी  सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।  पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी तभी से  वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।इस दिन कुछ लोग  पतंगबाजी भी करते है
माँ सरस्वती को शारदा भी कहा जाता है। सरस्वती माँ को ज्ञान की देवी कही जाती हैं। सरस्वती माँ की पुजा और उपासना करने से व्यक्ति को सद्बुद्धि आती हैद्य  अनेको स्कूलों में माँ सरस्वती आराधना प्रातः कराई जाती है।
                        मां शारदा की आरती
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां
तू स्वर की देवी है संगीत तुझसे,
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे,
हम हैं अकेले, हम हैं अधूरे,
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां...
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी,
हम भी तो समझें, हम भी तो जानें,
विद्या का हमको अधिकार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां....
तु श्वेतवर्णी, कमल पे बिराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे,
मन से हमारे मिटा दे अंधेरे,
हमको उजालों का संसार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां....


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