सेलुलर जेल जहां मिलती थी सजा ए काला पानी
Cellular Jail and Kala Pani in Hindi
सेलुलर जेल जहां मिलती थी सजा ए काला पानी
सेलुलर जेल में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हजारों भारतीयों को कैद रखा गया। कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों को अमानवीय यातनाएं दी गई, जिस कारण उनकी मृत्यु हो गई। कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों को यहां फांसी दे दी गई। जिन्होंने भागने की यानी jailbreak की कोशिश की, वे पकड़े गए या जंगलों में भूखे-प्यासे मारे गए। बहुत कम ही वहां से वापस लौटने में सफल हो सके। हिन्दी हाट की पाठक यामिनी अग्रवाल ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह की यात्रा से लौटकर ब्रिटिश राज के सबसे काले और भयावह अध्याय पर रोशनी डालती जानकारी और फोटोग्राफ्स आपके साथ शेयर किए हैं।
Cellular Jail in Hindi
सेलुलर जेल क्या है
सेलुलर जेल Cellular Jail एक पुरानी औपनिवेशिक जेल है, जो अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित है। अंग्रेजों के जमाने में सेलुलर जेल को काला पानी जेल भी कहा जाता था। ब्रिटिश शासन के दौरान सेलुलर जेल का इस्तेमाल राजनीतिक बंदियों को कैद करने के लिए किया जाता था, जहां उन्हें ब्रिटिश हुकूमत के हाथों कई अत्याचारों का सामना करना पड़ता था। बटुकेश्वर दत्त, बाबाराव सावरकर, भाई परमानन्द और विनायक दामोदर सावरकर जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों को काला पानी की जेल में रखा गया था। यह जेल अब एक राष्ट्रीय स्मारक है, जहां ब्रिटिश काल के दौरान जेल में कैद स्वतंत्रता सेनानियों के जीवनकाल की यातनाओं को प्रदर्शित किया गया है। आज सेलुलर जेल देश की आजादी के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के महान बलिदानों का प्रतीक स्मारक है।
वर्ष 1857 के सिपाही विद्रोह के समय अंग्रेज इस प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद करने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीपों को जेल के रूप में इस्तेमाल करने लगे। देश की मुख्य भूमि से दूर चारों तरफ से समुद्र से घिरे होने की अंडमान निकोबार की भौगोलिक स्थिति के कारण इन एकांत द्वीपों को बंदीगृह के रूप में चुना गया। यहां कैदियों को देश और समाज से अलग-थलग अंधेरी कोठरियों में रखा जाता था।
सेलुलर जेल का इतिहास
cellular jail history in hindi
सेलुलर जेल का 1896 में निर्माण शुरू हुआ और 1906 में निर्माण पूरा हुआ। हालांकि, 1857 के गदर के बाद से ब्रिटिश सरकार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का इस्तेमाल स्वतंत्रता सेनानियों को कैद करने के लिए कर रही थी। बगावत के तुरंत बाद बड़ी संख्या में विद्रोहियों को मार डाला गया, जबकि बचे हुए विद्रोहियों को अंडमान निकोबार जैसे एकांत द्वीपों में नरक जैसी परिस्थितियां भोगने के लिए डाल दिया गया। सबसे पहले जेलर डेविड बैरी और मेजर जेम्स पैटिंसन की हिरासत में रखने के लिए 10 मार्च, 1858 को 200 राजनीतिक कैदियों को जहाज से यहां लाया गया। 216 कैदी पंजाब से यहां लाए गए। 1858 के अंत तक यहां 1330 बन्दी लाए जा चुके थे। 1860 तक यहां करीब तीन-चार हजार स्वतंत्रता सेनानी अंडमान लाए गए। 1868 में कराची से 733 कैदी भिजवाए गए। शुरु मेें यहां कैदियों को अंडमान गृह में रखा जाता था। भारत और बर्मा से जब और अधिक कैदियों को यहां भेजा गया, तो सेलुलर जेल के भवन का निर्माण किया गया। ऐसा माना जाता है कि यहां पुरुष बंदियों को ही रखा जाता था।
Cellular Jailbreak in Hindi
सेलुलर जेल से भागने की कोशिश
मार्च 1868 में 238 बंदियों ने अंडमान जेल से भागने का प्रयास किया। एक महीने के अंदर सभी को पकड़ लिया गया। इनमें से 87 कैदियों को फांसी दे दी गई और एक ने प्रताड़ना से तंग आकर आत्म हत्या कर ली।
शुरू में मुगल शाही परिवार के सदस्यों और 1857 के गदर के दौरान भारत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय को पत्र लिख कर समर्थन देने वालों को भी सीधे अंडमान में निर्वासित जीवन जीने के लिए भेज दिया जाता था।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानियों ने आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों को यहां कैद रखा और उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया।
जिन स्वतंत्रता सेनानियों को सेलुलर जेल भेजा जाता था, उनका यहां से वापस लौटना बेहद मुश्किल होता था। ज्यादातर अमानवीय यातनाओं के कारण मारे गए और कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों को यहां फांसी दे दी गई। कई कम ही वहां से वापस लौटने में सफल हो सके। यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि काला पानी का इतिहास भारत के वीर शहीदों के रक्त से लिखा गया है।
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सेलुलर जेल की बनावट
सेलुलर जेल का निर्माण ब्रिटिश समाजिक विचारक जेरेमी बेंथम के बनाए पैनॉप्टिकन मॉडल Panopticon Model पर किया गया था। इसमें सिर्फ एक प्रहरी बीच में स्थित वाच टॉवर में बैठकर पूरी जेल के सभी बन्दियों पर नजर रख सकता था और बन्दियों को इस बात का पता नहीं चल पाता था कि उन्हें कोई देख रहा है या नहीं। इसलिए उन्हें हर क्षण यह एहसास होता था कि कोई उन पर नजर रख रहा है।
सेलुलर जेल को यह नाम उसकी इस बनावट के कारण ही दिया गया था। यह जेल ऑक्टोपस की तरह आकार वाली थी। इसमें सात भुजाएं थीं, जो बीच में स्थित मुख्य टॉवर से सात अलग-अलग दिशाओं में फैली थीं। मुख्य टावर का उपयोग गार्ड बंदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया करते थे। मुख्य टावर में एक बड़ा सा घंटा आपात स्थिति में बजाने के लिए रखा रहता था।
सेल्युलर जेल की सात भुजाओं में से प्रत्येक भुजा में तीन-तीन मंजिलें थीं। इनमें कमरे या डॉर्मेट्री के बजाय 693 छोटी-छोटी कोठरियां या सेल थीं। प्रत्येक कोठरी 4.5 लम्बी और 2.7 मीटर चौड़ी होती थी, जिसमें तीन मीटर की ऊंचाई पर एक छोटा सा वेंटिलेटर होता था। ये कोठरियां इस तरह बनाई गई थीं कि एक कोठरी में रहने वाले को दूसरी कोठरी में रहने वाले से सम्पर्क नहीं हो पाता था। सावरकर बंधु बाबाराव सावरकर और वीर विनायक दामोदर सावरकर को सेलुलर जेल की अलग-अलग कोठरियों में रहते थे, लेकिन दो वर्ष तक उन्हें यह पता ही नहीं चल पाया कि दोनों एक ही जेल में बन्द हैं।
kala pani in hindi
काला पानी की सजा क्या है
काला पानी की सजा भोग रहे कैदियों से बेहद कठिन शारीरिक काम करवाए जाते थे। सेलुलर जेल की दो विंग्स के बीच का स्थान बंदियों से काम करवाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। सेल्युलर जेल में बन्दियों से विभिन्न प्रकार के कार्य जैसे तेल निकालना, रस्सी बनाना, नारियल के छिलके कूटना आदि कार्य करवाए जाते थे। राजनीतिक बन्दियों को उनकी शारीरिक क्षमता से बहुत अधिक काम करवाया जाता था। राजनीतिक कैदियों को कोल्हू पर जोता जाता था। उन्हें हर रोज 30 पौंड नारियल का तेल और 10 पौंड सरसों का तेल निकालने जैसे काम दिए जाते थे। उनसे दलदली जमीन में मिट्टी भरवाने और जंगल साफ करने, सड़क बनाने जैसे काम भी करवाए जाते थे। यदि समय पर निर्धारित काम पूरा नहीं होता था तो राजनीतिक बंदियों को भयानक शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ता था और उन्हें बेड़ियों में जकड़ दिया जाता था।
Cellular Jail Memorial Details
सेलुलर जेल मेमोरियल
1947 में आजादी मिलने के बाद अंडमान जेल के राजनीतिक कैदी रहे कई पूर्व स्वतंत्रता सेनानियों ने जेल का दौरा किया। सरकार के साथ चर्चा के बाद इस जेल को संरक्षित स्मारक बनाने का निर्णय लिया गया। सेल्यूलर जेल की इमारत के मूल ढांचे में कोई बदलाव किए बिना इसे एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया। 11 फरवरी, 1979 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने स्वतंत्रता सेनानियों की महान तपस्या की पावन स्मृति सेल्युलर जेल स्मारक राष्ट्र को समर्पित किया।
Must visit at Cellular Jail
सेलुलर जेल में जरूर देखें
सेलुलर जेल मेमोरियल में प्रवेश करने पर सबसे पहले आप प्रदर्शनी गैलरी में पहुंचते हैं, जहां हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं। संग्रहालय परिसर में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की एक गैलरी और पुरानी तस्वीरों की एक गैलरी भी है। इमारत की पहली मंजिल में एक आर्ट गैलरी, नेताजी गैलरी और स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित एक पुस्तकालय है। देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों की अमर स्मृति में यहां स्वतंत्रता की लौ के रूप में स्वातंत्र्य ज्योति यहां सदैव जलती रहती है।
Cellular jail light and sound show
सेलुलर जेल लाइट एंड साउंड शो
शहीदों की याद में सेलुलर जेल स्मारक में हर मंगलवार, गुरुवार, शनिवार और रविवार को लाइट एण्ड साउंड शो आयोजित किया जाता है। हिंदी शो शाम 6 बजे और सवा सात बजे होता है, जबकि अंग्रेजी शो केवल सवा सात बजे होता है। लाइट एंड साउंड शो न केवल सेलुलर जेल की झांकी प्रस्तुत करता है, बल्कि ब्रिटिश युग के दौरान जेल में बंदियों के जीवन का चित्रण भी करता है।
अन्य जरूरी बातें
संग्रहालय के परिसर के अंदर अपना कैमरा ले जाने के लिए 200 रुपये का टिकट है। मोबाइल फोन में इनबिल्ट कैमरे पर शुल्क नहीं है। अगर आप संग्रहालय के अंदर तस्वीरें नहीं लेना चाहते हैं, तो अपने कैमरे को अपने वाहन या होटल के कमरे में छोड़ कर ही जाएं।
How to reach Cellular Jail
सेलुलर जेल कैसे पहुंचें
सेलुलर जेल अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी में स्थित है। अंडमान में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए सेलुलर जेल मेमोरियल देखने के लिए ऑटो रिक्शा या कैब का उपयोग करना ही बेहतर विकल्प है।
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