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Hockey : Essay in Hindi

हॉकी के खेल पर निबन्ध


हॉकी एक लोकप्रिय खेल है, जिसे दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में खेला जाता है। इस खेल में दो टीमों के खिलाड़ी हॉकी स्टिक की मदद से गेंद को अपनी प्रतिद्वन्दी टीम के गोल पोस्ट में पहुंचाने का प्रयास करते हैं। भारत में हॉकी का अर्थ मैदानी हॉकी से ही लिया जाता है क्योंकि यहां मैदान पर खेली जाने वाली हॉकी ही अधिक लोकप्रिय है। वैसे आपको जानकर हैरत होगी कि दुनिया में मैदानी हॉकी के अलावा भी हॉकी खेल कई अलग-अलग रूपों में खेला जाता है, जैसे आइस हॉकी, रोलर हॉकी और आइस स्लेज हॉकी इत्यादि, लेकिन मैदानी हॉकी ही सबसे अधिक लोकप्रिय है और सबसे ज्यादा देशों में खेली जाती है। 

History of Hockey in Hindi

हॉकी का इतिहास

हॉकी खेल का पहला उल्लेख  18वीं शताब्दी की एक पुस्तक में मिलता है। हालांकि शाब्दिक रूप से देखा जाए तो हॉकी hockey शब्द मध्यकाल के फ्रेंच भाषा के शब्द hocket से निकला है। हॉकेट का अर्थ होता था चरवाहे का घुमावदार डंडा, जिसकी आकृति हॉकी से मिलती-जुलती होती है।
आज से हजारों वर्ष पहले मिस्र, प्राचीन यूनान, आयरलैंड और मंगोलिया में इतिहास हॉकी से मिलते-जुलते खेल प्रचलन में थे, पुरा अभिलेखों में इसके प्रमाण मिलते हैं। हालांकि, वर्तमान स्वरूप में हॉकी का खेल 19वीं सदी में ही शुरू हुआ। आधुनिक काल में हॉकी खेल को लोकप्रिय बनाने में ब्रिटेन की सेना का बहुत योगदान है। ब्रिटेन के उपनिवेश देशों में जहां भी ब्रिटिश सेना की छावनियां थीं, वहां ब्रिटिश सैनिक हॉकी के खेल को खेला करते थे। भारत में भी हॉकी का खेला ब्रिटिश सेना ने ही लोकप्रिय किया।


पुरुषों का हॉकी खेल वर्ष 1908 में पहली बार ओलम्पिक खेलों में शामिल किया गया। 1912, 1916 और 1924 को छोड़कर हर बार हॉकी ओलम्पिक में खेला जा रहा है। महिला हॉकी को 1980 में ओलम्पिक खेलों में शामिल किया गया।

Golden Period of Indian Hockey

भारतीय हॉकी का स्वर्ण काल

वर्ष 1928 से लेकर 1956 तक का समय भारत में हॉकी का स्वर्णकाल रहा है। इस दौरान भारत ने ओलम्पिक हॉकी में लगातार 6 बार स्वर्ण पदक जीते। 1928 में हुए एम्सटर्डम ओलम्पिक में भारत ने मेजबान नीदरलैंड्स को हराकर हॉकी में पहला स्वर्ण पदक जीता था। भारत ने ओलम्पिक में हॉकी खेल में 8 स्वर्ण पदक जीते हैं। 1980 में हुए मॉस्को ओलम्पिक में भारत ने हॉकी में अंतिम बार स्वर्ण पदक जीता। हॉकी के स्वर्ण युग में इस खेल को भारत में अपार लोकप्रियता हासिल हुई और इसे राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता मिली। हालांकि अधिकृत रूप से भारत में किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त नहीं है।
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ध्यानचंद हॉकी का जादूगर  




वर्ष 1928, 1932 और 1936 के ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम की जीत के सूत्रधार मेजर ध्यानचंद रहे। मेजर ध्यानचंद ने 1948 में हॉकी को अलविदा कहा। ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था क्योंकि जब वे मैदान में होते थे, गेंद ज्यादा समय तक उनकी हॉकी स्टिक के कब्जे में ही रहती थी। मेजर ध्यानचंद के बारे में जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से जुड़ी एक कहानी प्रचलित है। 1936 के बर्लिन ओलम्पिक खेलों में मेजर ध्यानचंद के शानदार खेल की बदौलत भारत ने जर्मनी को 8-1 से हरा कर स्वर्ण पदक जीता, जिसमें 6 गोल अकेले ध्यानचंद के थे। कहा जाता है कि ध्यानचंद के शानदार खेल को देखकर हिटलर उनका मुरीद हो गया। उसने ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता देने और जर्मन सेना में बहुत बड़ा पद देने की पेशकश की। ध्यानचंद उस वक्त सेना में लांस नायक ही थे, लेकिन उन्होंने हिटलर के खौफ के बावजूद उस प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया। 1932 के ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने अमेरिका को 24-1 से हराया, जो आज भी एक रिकॉर्ड है। इनमें से 8 गोल अकेले ध्यानचंद के थे।
ध्यानचंद के जन्म दिवस 29 अगस्त को पूरे भारत में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।   

How to play Hockey in Hindi

हॉकी खेलने के नियम

हॉकी का खेल ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेला जाता है। ग्यारह खिलाड़ियों में 5 खिलाड़ी फारवर्ड, तीन हाफबैक, दो फुलबैक और एक गोलकीपर होता है। हॉकी टीम में ग्यारह के अलावा 5 खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं। हॉकी के एक मैच में 35-35 मिनट के दो भाग होते हैं। पहले हॉकी के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुकाबले घास के मैदान में होते थे, अब हॉकी के मैच एस्ट्रो टर्फ (कृत्रिम घास) पर खेले जाते हैं।
खिलाड़ी हॉकी स्टिक की मदद से हॉकी बॉल को विरोधी टीम के गोल में डालने का प्रयास करते हैं। गेंद को हाथ से छूने और हॉकी स्टिक को कंधों से ऊपर उठाने पर रोक होती है। गोलकीपर को 30 गज के घेरे यानी डी में अपने शरीर और पैरों की मदद से भी गेंद रोकने की इजाजत होती है। खेल की शुरुआत मैदान के केन्द्र से होती है, जब एक टीम का सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी बैक पास के द्वारा अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ी को गेंद देता है। फिर दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच गेंद को हॉकी स्टिक की मदद से अपने कब्जे में लेने और विरोधी टीम के गोल पोस्ट में डालने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है।
किसी खिलाड़ी को चोट लगने या गेंद खिलाड़ियों के कपड़ों में उलझने पर फेस ऑफ होता है और गेंद सेंटर में रखकर वापस खेल शुरू किया जाता है। दोनों टीमों की ओर से एक-एक पेनल्टी होने अथवा तकनीकी गड़बड़ होने पर भी रेफरी फेस ऑफ या बुली घोषित कर गेंद सेंटर में रखवा कर फिर से खेल शुरू करवाता है। गेंद के मैदान से बाहर चले जाने पर भी रेफरी नियमानुसार खेल शुरू करवाता है। हॉकी के खेल को सुरक्षित बनाने के लिए कई तरह के नियमों का प्रावधान किया गया है, जिनको तोड़ने को फाउल कहा जाता है। फाउल होने पर रेफरी अधिकतर विरोधी टीम को फ्री हिट देता है।   


Size of Hockey Field

हॉकी के मैदान का आकार

हॉकी के मैदान की लम्बाई 100 मीटर और चौड़ाई 60 मीटर होती है। चौड़ाई वाले दोनों छोर पर आमने-सामने दो गोल पोस्ट होते हैं। हॉकी गोल पोस्ट की चौड़ाई 12 फुट और ऊंचाई 7 फुट होती है। दोनों ओर से 25 गज पर दो लाइनें और बीच में सेंटर लाइन होती है। पेनाइल्टी स्ट्रोक के लिए गोल पोस्ट से 7 गज की दूरी पर 6 इंच के व्यास का एक घेरा होता है। बेस लाइन से 16 गज की दूरी पर शूटिंग सर्किल होता है। 
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