National Disaster Management Scheme in Hindi
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना
Photo Credit NDRF |
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव से ऋतू चक्र में हो रहे परिवर्तन और से असमय ही मौसम बदल जाता है. भारत में पिछले कुछ सालों से बाड़, भूकंप , समुद्री तूफान, तेज हवाओं के चलने से सामान्य जन जीवन बाधित जो जाता है. साथ ही जान - माल का नुक्सान भी होता हैं.
आपदा की ऐसी स्थित से निपटने के लिए भारत सरकार और देश के विभिन्न राज्यों में ये योजना लागू है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के माध्यम से भारत को आपदा प्रतिरोधक बनाना, और मौसम विभाग के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए जन-जीवन की हानि को कम करना और आपदा की स्थिति में लोगो तक मदद पहुंचाना है.
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क्या है राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य भारत को आपदा प्रतिरोधक बनाना और जन-जीवन तथा संपत्ति के नुकसान को कम करना है. यह योजना ‘सेनडाई फ्रेमवर्क’ के चार बिन्दुओं पर आधारित है. इनमें आपदा जोखिम का अध्ययन, आपदा जोखिम प्रबंधन में सुधार करना, ढांचागत और गैर ढांचागत उपायों के जरिये आपदा जोखिम को कम करने के लिए निवेश करना तथा आपदा का सामना करने के लिए तैयारी, पूर्व सूचना एवं आपदा के बाद बेहतर पुनर्निर्माण करना शामिल हैं.
यह योजना क्षेत्रीय आधार को ध्यान में रख कर बनाई गई है. जो न सिर्फ आपदा प्रबंधन के लिए बल्कि विकास योजना के लिए भी लाभकारी है. इसका डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है. कि इसे आपदा प्रबंधन के सभी चरणों में समान रूप से लागू किया जा सकता है. योजना के दायरे में आपदा प्रबंधन के सभी चरण शामिल हैं- जैसे रोकथाम, जोखिम कम करना,आपदा के बाद जन - जीवन पुनः बहाल करने सहित पूर्व सूचना, सूचना का प्रसारण, चिकित्सा सेवा, र्इंधन, यातायात, खोज, बचाव आदि जैसी प्रमुख गतिविधियों को भी शामिल किया गया है. योजना में पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों सहित प्रत्येक सरकारी स्तर पर भूमिका और दायित्वव के विषय में विस्तृत उल्लेख किया गया है. ताकि आपदा प्रबंधन में काम करने वाली एजेंसियों को सुविधा मिल सके. योजना के तहत बहाली के लिए एक आम फ्रेम वर्क भी बनाया गया है. इसके अलावा परिस्थितियों का आकलन करने और बेहतर पुनर्निर्माण के उपायों का भी उल्लेख किया गया है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति की प्रमुख बातें
आपदा-खतरों से सम्भावित क्षेत्रों की प्रत्येक परियोजना में न्यूनीकरण उपायों का समावेश एक आवश्यक विचारणीय विषय होगा. परियोजना रिपोर्ट में यह स्पष्ट वर्णन होगा कि यह परियोजना किस प्रकार से आपदा संवेदनशीलता व कमजोरियों को कम करने के उपायों को सम्बोधित करेगी.
आपदा प्रबंधन के लिए रोकथाम, पूर्व तैयारी के लिए एक समग्र और क्रियाशील दृष्टिकोण अपनाना है. केंद्र और राज्य सरकारों का प्रत्येक मंत्रालय एवं विभाग आपदा संवेदनशीलता में कमी और पूर्व तैयारी से सम्बंधित विशिष्ट योजनाओं एवं पद्धतियों के लिए एक सुनिश्चित निधि की व्यवस्था करना.
जहाँ बहुत सारी परियोजनाएं हैं. वहाँ आपदा न्यूनीकरण से सम्बंधित परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जायेगी. पहले से जारी परियोजनाओं और योजनाओं में आपदा न्यूनीकरण के उपायों को समाहित किया जायेगा. राष्ट्रीय स्तर पर कॉर्पोरेट सेक्टर गैर सरकारी संगठनों एवं मीडिया के साथ घनिष्ट सम्बन्ध स्थापित करते हुए आपदा रोकथाम तथा संवेदनशीलता (कमजोरियां) को कम करने के प्रयास करना.
एक संयोजित एवं त्वरित कार्यवाही के लिए संस्थागत ढांचा या एक उचित आदेश श्रृंखला का निर्माण तथा आपदा प्रबंधकों के लिए समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी. क्षमता निर्माण के उपायों के लिए योजना एवं तैयारियों की संस्कृति प्रत्येक स्तर पर निर्मित किया जायेगा.
विशिष्ट प्रकार की आपदाओं के प्रबंधन के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर तथा केंद्र सरकार से सम्बंधित विभागों में मानक संचालन कार्यप्रणाली (SOP) और आपदा प्रबंधन कार्ययोजना का निर्माण किया जाता है.
भूकम्प जोन ॥, IV व V में आने वाली सभी जीवनदायी इमारतें (लाइफलाइन बिल्डिंग्स) जैसे कि अस्पताल, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट एअरपोर्ट कण्ट्रोल टावर्स, अग्निशमन केंद्र, बस स्टेशन, मुख्य प्रशाशनिक भवन आदि का आकलन करना है. आपदा के खतरों को स्थायी एवं प्रभावी रूप से कम करने के लिए सामुदायिक भागीदारी एवं जागरूकता निर्माण पर विशेष रूप से आबादी के संवेदनशील घटकों और महिलाओं के प्रति विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं
योजना का विजन भारत को आपदा मुक्त बनाना है, आपदा जोखिमों में पर्याप्त रूप से कमी लाना है, जान-माल, आजीविका और संपदाओं - आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय - के नुकसान को कम करना है, इसके लिए प्रशासन के सभी स्तरों और साथ ही समुदायों की आपदाओं से निपटने की क्षमता को बढ़ाया जाएगा।
आपदा के समय इन सभी बिन्दुओ को ध्यान में रखते हुए किया जाता है आपदा के समय प्रबंधन
पूर्व चेतावनी, मानचित्र, उपग्रह इनपुट, सूचना प्रसार करना, पशुओं और लोगों को हटाना और बचाना स्वास्थ्य सेवाएं, पेयजल/निर्जलीकरण पंप/स्वच्छता सुविधाएं/सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य और आवश्यक आपूर्ति
संचार, आवास और झोपड़ियों, बिजली, ईंधन, परिवहन, राहत रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, पशु के शवों का निपटान, प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारा, पुनर्वास एवं पशुधन और अन्य जानवरों के लिए पशु चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करना, डेटा संग्रह और प्रबंधन, राहत रोजगार, मीडिया सम्पर्क प्रमुख कार्य है.
एनडीआरएफ हेल्पलाइन नंबर - 91 -9711077372
NDRF Helpline Number - 91 -9711077372
एनडीएमए डाक पता-
एनडीएमए भवन, ए-1, सफदरजंग एनक्लेव,नई दिल्ली-110029
दूरभाष: 91-11-26701700
नियंत्रण कक्ष- 91-11-26701728
हेल्पलाइन नंबर- 011-1078
NDRF एनडीआरएफ
NDRF एनडीआरएफ का गठन 2006 में 8 बटालियनों के साथ हुआ था. वर्तमान में, एनडीआरएफ में 12 बटालियनों की ताकत है. जिसमें प्रत्येक बटालियन में 1149 कर्मचारी शामिल हैं.अपनी स्थापना के बाद से आपदा परिस्थितियों को संभालने के दौरान एनडीआरएफ ने अपनी विशेषज्ञता,कड़ी मेहनत और करुणा का प्रदर्शन करके लाखों देशवासियों के दिल जीते है.बुरे समय में ये फ़रिश्ते की तरह आते है और लोगो को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में अपनी जी-जान लगा देते है.एनडीआरएफ का वतर्मान स्वरुप और संगठन
वर्तमान में, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल में 12 बटालियन, बीएसएफ और सीआरपीएफ से तीन और सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी से प्रत्येक दो शामिल हैं. प्रत्येक बटालियन में इंजीनियरों, तकनीशियनों, इलेक्ट्रीशियन, विषेस खोजी कुतो के दल और चिकित्सा / पैरामेडिक्स सहित प्रत्येक 45 कर्मियों की 18 आत्मनिर्भर विशेषज्ञ खोज और बचाव दल हैं. प्रत्येक बटालियन की कुल ताकत 1,14 9 है. सभी 12 बटालियनों को प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं का जवाब देने के लिए सुसज्जित और प्रशिक्षित है. बटालियनों को समय -समय पैर रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (सीबीआरएन) आपात स्थिति के दौरान प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है.एनडीआरएफ हेल्पलाइन नंबर - 91 -9711077372
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