Header Ads

ramzan in hindi

ramzaan in hindi

माह-ए-रमजान 

रमजान ramzan festival का पवित्र महीना रहमतो और बरकतों के लिहाज से अच्छे कामों का सबब देने वाला होता है. इसी वजह से इस माह को इबादत और नेकियों का मौसम-ए-बहार कहते है. 


what is ramadan

रमजान शब्द अरेबिक शब्द रमीदा और रमद से मिलकर बना हैं. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नवां महीना रमजान का होता है. 

माह-ए-रमजान में सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीन रोजा रखते हैं. रोजे चांद दिखने से शुरु होते हैं, नवां महीने में जिस शाम चांद दिखाई देता है, उसकी अगली सुबह से रोजे शुरू हो जाते हैं. जो एक महीने तक चलते है और ईद-उल-फित्र के दिन ईद की नमाज़ के साथ खत्म होता है.



रोजे को अरबी भाषा में सोम भी कहा जाता है. इस्लाम में रमजान के महीने को सबसे पवित्र महीने माना गया है. पूरे महीने सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी खाये-पिए बिना मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखते है. और विशेष नमाज अदा करते है. रमजान के महीने को  कुरान के जश्न का भी मौका मानते है.

2018  में रमजान की तारीख  Ramzan Date in 2018

साल 2018 में चाँद दिखाई देने पर रमजान का महीना 15 मई से 14 जून तक चलेगा और चाँद दिखने के साथ ही ईद उल फितर (ईद) 15 जून को हो सकती है. रमजान के महीने की शुरूआत चाँद के दिखने के साथ ही होती है. इसलिए तारीख के दिन में बदलाव संभव हो सकता है.

क्यों खास हे रमजान का महीना why is ramadan celebrated

ramzaan kyo manaya jata hai in hindi रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है. हर हिस्से में दस-दस दिन आते हैं. हर दस दिन के हिस्से को 'अशरा' भी कहा जाता है. जिसका मतलब अरबी में 10 होता है. कहते है की रमजान के महीने में आसमान से पूरी कुरान उतरी थी, जो इस्लाम की पाक किताब है. 

history of ramadan

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने के दौरान इस्लामिक पैगम्बर मोहम्मद के सामने कुरान की पहली झलक पेश की गई थी इसलिए मुस्लिम समुदाय में रमजान के महीने का खास माना जाता है और पूरी दुनिया में पैगम्बर हजरत मोहम्मद पर पवित्र कुरान के अवतरण के उपलक्ष्य में रोजे रख कर रमजान के महीने को पवित्रे माह को पर्व के रूप में मनाते है.

क्यों जरुरी है रोजे रखना what is ramadan fasting

कुरान के दूसरे पैरे की आयत 183 में रोजा रखना हर मुसलमान के लिए जरूरी बताया गया है. कुरान की आयत को माने तो रोजा सिर्फ भूखे, प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि गलत कामों से बचना के लिए रखे जाते है. रोजे रखने से रोजेदार खुद को शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से नियंत्रण में रखना सीख जाता है.  

शिया-सुन्नियों के रोजे रखने के तरीकों में होता है फर्क

शिया और सुन्नी दोनों मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के पूरे महीने में रोजे रखते है और अल्ला की इबादत करते है. लेकिन शिया और सुन्नी के रोजे रखने में फर्क होता है. शिया समुदाय के लोग पूरी तरह अंधेरा होने के बाद ही अपना रोजा खोलते है और सुन्नी समुदाय के लोग अपना रोजा सूरज छिपने पर खोल लेते हैं.


सेहरी और इफ्तार Saher & Iftar Party

रोजे के दौरान रोजेदार पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहते हैं. रोजे के दौरान हर दिन सुबह सुर्योदय से पहले हल्का खाना खाया जाता है. जिसे सेहरी कहते हैं, और शाम को सूर्यास्त के बाद रोजेदार खजूर खाकर रोजा तोड़ते और साथ में हल्का खाना खाते हैं. उसे इफ्तार कहते हैं.

क्यों खाते है रोजे में खजूर

इस्लामिक अदब के मुताबिक अल्लाह के एक दूत को अपना रोजा खजूर खा कर ही तोड़ने चाहिए इसीलिए पौराणिक परंपरा के अनुसार सभी रोजेदार खजूर खाकर सेहरी एवं इफ्तार करते है.

किसे है रोजा नहीं रखने की छूट

वैसे तो मुस्लिम धर्म में सभी लोगे रोजा रखते है. लेकिन ऐसे व्यक्ति जो बीमार हो, छोटे बच्चे, लगातार सफर में रहने वाले लोग और ऐसी महिलाये जिन्ह बच्चों को स्तनपान करवाना हो ऐसे लोगो को रोजा रखने की छूट मिलती है.

ईद-उल-फित्र

ईद—उल-फित्र को ईद का पर्व भी कहा जाता है. एक महीने तक रोजे रखने वाले सभी रोजदार चाँद दिखने के अगले दिन को ईद के रूप में मनाते हैं. इस दिन रोजेदार नए कपड़े पहनकर मस्जिदों और ईदगाह में जा कर रमजान की आखिरी नमाज पढ़ते है और अमन चैन की दुवा मांगने के साथ ही खुदा का शुक्रिया अदा करते है. एक दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई देते हैं. ईद साल में दो बार आती है - पहली ईद-उल-फित्र जिसे मीठी ईद कहा जाता है और दूसरी ईद-अल-जुहा जिसे बकरीद के नाम से जाना जाता है.

रमजान के पुरे महीने में रोजेदारों को किन किन बातो का ध्यान रखना पड़ता है. ramadan rules

कहते है कि रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं इसलिए इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा मिलता है. रमजान के पाक महीने में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है और ऐसा करने से अल्लाह इंसान के सारे गुनाह माफ़ कर देता है. 

रोजदार को पूरे महीने सभी नियमो का पालन कड़ाई से करना होता है. पूरे पवित्र महीने में गुसल करना, किसी से झगड़ा करना मना होता है. रोजे के दौरान किसी भी स्त्री को गलत नजर से देखना मना है. साथ ही किसी भी तरह का नशा करना भी रोजेदार के लिए हराम माना गया है और पूरे महीने में नशा करने पर सख्त पाबंदी होती है.

रमजान के महीने में झूठ बोलना, रिश्वत लेना या कोई भी गलत काम करने की सख्त मनाही है. इस्लाम के अनुसार बदनामी करना, लालच करना, पीठ पीछे बुराई करना, झूठ बोलना और झूठी कसम खाने के साथ ही किसी भी गलत काम से रोज़ा टूटा हुआ माना जाता है.

दान और सबाब का महीना

रमजान का महीना बरकत वाला महीना होता है. रमजान इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों से जुड़़ा होने के साथ ही इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. धर्म पर सच्ची श्रद्धा रखना, नमाज पढ़ना, जकात यानी दान देना और हज करना शामिल है. जो भी व्यक्ति रमजान में रोजे रखता है. उन सभी रोजदारों को इन सभी नियमों का पालन करना पड़ता है.


रमजान और ईद की शायरी  

चाँद से रोशन हो रमजान तुम्हारा, इबादत से भरा हो रोज़ा तुम्हारा,
हर रोज़ा और नमाज़ कबूल हो तुम्हारी, यही अल्लाह से है, दुआ हमारी.

चाँद की पहली दस्तक पे, चाँद मुबारक कहते हैं,सबसे पहले हम आपको, रमजान मुबारक कहते हैं

दिखा ईद का चाँद तो मांगी ये दुआ रब से, दे दे तेरा साथ ईद का तोहफा समझ कर.

No comments

Powered by Blogger.