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How to stop loose motion for babies in Hindi

बच्चे को दस्त रोकने के उपाय

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        बच्चों में होने वाले उल्टी-दस्त एक बहुत ही आम तकलीफ है. इस मेडिकल भाषा में Diarrhea डायरिया अथवा गेस्ट्रोएन्टराईटिस  Gastroenteritis कहा जाता है. समय पर ध्यान न देने से यह घातक सिद्ध हो सकती है और बच्चे की जान ले सकती है. यह भी सच है कि जरा सी देखभाल एवं समय पर सही कदम उठाने से आप बच्चों में डायरिया का घर पर ही उपचार कर सकते हैं.
        इसकी गम्भीरता का अनुमान आप यूं लगा सकते हैं कि विकासशील देशों में पांच वर्ष से कम उम्र का हर दस में से एक बच्चा उल्टी-दस्त की तकलीफ का शिकार होकर अपनी जान खो देता है. 

Loose motions meaning in Hindiदस्त क्या है

        साधारण से ज्यादा तरल मल होने की क्रिया को दस्त यानी डायरिया कहते हैं. यदि साथ में खून व आंव भी हो तो इसको डिसेंट्री कहते हैं. Dysentery  डिसेंट्री ज्यादातर आँतों में जीवाणु इन्फेक्शन से होती है. 

Causes of loose motions दस्त क्यों होते हैं 

        दस्तों के कारणों की वैज्ञानिक तौर पर एक बहुत लम्बी सूची है. अपनी समझ के लिए आप मान लें कि दस्त या तो वायरल इन्फेक्शन के कारण या बिना इन्फेक्शन के भी हो सकते हैं.
        दस्त कारक कीटाणुओं में रोटावायरस सबसे आम है. रोटावायरस एक वायरस है और इससे बिल्कुल पानी जैसे दस्त हो सकते हैं. इनके अलावा अनेक और बैक्टीरिया एवं वायरस हैं.
        सर्दी-जुकाम में बच्चों को हरे रंग के दस्त बिना कीटाणु के दस्त का सबसे आम उदाहरण हैं. इन दस्तों का कारण सर्दी-जुकाम है और पेट से इनका कोई संबंध नहीं है. इसमें दस्त से जुड़ी कोई दवा की जरूरत नहीं होती है.   

Dehydration in Hindi डीहाइड्रेशन क्या है 

        जब भी उल्टी या दस्त में शरीर से पानी हद से ज्यादा निकल जाता है तो शरीर का जल संतुलन बिगड़ जाता है. इसी को पानी की कमी या डीहाइड्रेशन कहते हैं. उल्टी-दस्त के कारण हुआ Dehydration डीहाइड्रेशन ही हमारा नुकसान करता है.

Symptoms of Dehydration डीहाईड्रेशन होने से क्या होता है

        बच्चों में डीहाइड्रेशन पहचानने के कई लक्षण होते हैं. शुरूआत में बच्चे को ज्यादा प्यास लगती है, जीभ एवं होठ सूखे-सूखे रहते हैं तथा बच्चा थोड़ा चिड़चिडा रहता है. बच्चा ज्यादा पानी की मांग करेगा और बिल्कुल ललचाया सा जल्दी-जल्दी पीयेगा.
        जब डीहाईड्रेशन कुछ ज्यादा होता है तो आंखें कुछ अन्दर की ओर धँस जाती है, पेशाब कम एवं गहरा पीला हो जाता है एवं बच्चा कुछ सुस्ती में होता है.  
        बहुत ज्यादा डीहाईड्रेशन में बच्चा बिल्कुल सुस्त या बेहोश सा होता है, पेशाब करीब-करीब बन्द हो जाता है,  आंखें बिल्कुल अन्दर धंस जाती हैं,  हाथ-पांव ठण्डे,  सांस तेज-तेज एवं पेट में सूजन हो सकती है. फौरन इलाज न करने से इससे जान भी जा सकती है. ऐसे बच्चों को फौरन चिकित्सा एवं ग्लूकोज चढ़वाने की जरूरत होती है.

शिशु को दस्त होने पर क्या करें 

        शिशु को दस्त होने पर आपका पहला कार्य है डीहाईड्रेशन यानी पानी की कमी से बचाव करना. जैसे ही दस्त शुरू हों, तरल चीजें ज्यादा पिलायें. सबसे प्रमुख बात यह है कि मां दूध पिलाना बन्द न करे. कुछ समय तक ऊपर का दूध हो सके तो बन्द कर दें या कम कर दें. बच्चों के आहार में तरल चीजें बढ़ा दें. 
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दस्त में क्या खाना चाहिए 

  • शरबत या शिकंजी
  • पतली चाय
  • पतले चावल या दाल चावल-दही के साथ
  • केला अथवा दही केला
  • खिचड़ी
  • नारियल का पानी
  • सब्जी का सूप 
  • दही या छाछ
  • चिकन सूप अथवा मीट सूप
  • साबूदाने की खिचड़ी

How to make ORS in Hindi ओआरएस बनाने की विधि

        यह नमक-चीनी एवं मिनरल का मिश्रण यानी ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्यूशन आप खुद घर पर बना सकते हैं या दवा की दुकान से बना-बनाया भी ला सकते हैं. 
  • 1गिलास सादा पानी
  • 2चम्मच चीनी
  • 1चुटकी नमक 
  • कुछ बूंद नींबू इच्छानुसार

        ये सभी चीजें कांच के बर्तन घोल कर रखें. ओआरएस घोल को तांबे या पीतल के बर्तन में बिलकुल नहीं रखना चाहिए. एक घंटे से अधिक समय तक इस घोल को इस्तेमाल नहीं करें.  बच्चोंं या बड़ों को जैसे ही उल्टीए या दस्ते शुरू हों, उन्हें ओआरएस का घोल देना शुरू कर देना चाहिए. मरीज को सादा पानी देने से बचना चाहिए.  

बाजार में मिलने वाले ओआरएस 

पुनर्जल रिलाईट
इलेक्ट्राल  रीबैलेन्ज
इलेक्ट्रोबियोन वॉलाईट-पी
        इसकी मात्रा बच्चे की प्यास के अनुसार होती है. अंदाजन एक वर्ष का बच्चा 24 घण्टे में करीब 1 लीटर की मांग कर सकता है.

दस्त में क्या नहीं करें 

        आम धारणा है कि पेट को आराम देने के लिये खुराक बन्द करनी चाहिये, जबकि यह गलत है. आप यह पायेंगे कि भूखा ज्यादा दस्त करेगा. खुराक चालू रखना अपने आप में इलाज का काम करेगा. हाँ, ध्यान रखें कि खुराक वह खिलायें जो बतायी गई है. दस्त होने पर भी मां का दूध बन्द न करें. दवाईयां बिना डाक्टरी सलाह के न दें. 

कब डॉक्टर के पास जाना जरूरी है 

  • उल्टी
  • खाना पानी बच्चा न ले तो 
  • थोड़े से समय में 10 से ज्यादा दस्त होने पर  
  • पेशाब बहुत कम आए या बन्द हो 
  • प्यास बहुत ज्यादा हो
  • बुखार
  • सुस्ती
  • पेट में फूलन अथवा दौरे या बेहोशी

Prevention and cure of Dysentery in kids बच्चों में दस्त की रोकथाम व बचाव

        दस्त से बचाव के लिए सफाई एवं स्वच्छ खुराक या पानी सबसे जरूरी हैं. इन बातों का विशेष ध्यान रखें. 
  • बर्तन साफ हों अथवा उबले हों. 
  • बोतल से दूध पिलाना हानिकारक है. 
  • अगर पिलाना ही हो तो साफ व उबली हुई बोतल काम में लें.  
  • ताजा खाना काम में लें -ज्यादा रखा हुआ या खुला रखा हुआ नहीं
  • बाजार की चीजें कम काम में लें 
  • खाने और पानी को मक्खियों से बचायें 
  • खाने के पहले व बाद हाथ साबुन से धोयें.

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