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How to stop snoring in Hindi

खर्राटों से कैसे छुटकारा पाएं



खर्राटे और स्लीप एप्निया नींद से जुड़ी समस्या है। खर्राटे एक ऐसी समस्या है, जिस पर हम सामान्य परेशानी मानकर ध्यान नहीं देते, जबकि दुनिया में आधे से अधिक लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं। बच्चे यहां तक कि नवजात भी इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। अगर किसी को बहुत तेज खर्राटे आते हैं तो यह ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया जैसी घातक बीमारी का भी लक्षण हो सकता है। खर्राटे कई अन्य बीमारियों के भी लक्षण हो सकते हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा, स्ट्रोक, सांस की बीमारियां, अनिद्रा, मानसिक परेशानियां या नपुंसकता आदि। खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को सोकर उठने के बाद भी सुस्ती, चिड़चिड़ाहट और शारीरिक कमजोरी जैसी समस्याएं महसूस हो सकती हैं।

Why am I snoring?

खर्राटे क्यों आते हैं

खर्राटे सामान्य तौर पर तभी आते हैं, जब सोते समय श्वसन तंत्र में कोई अवरोध पैदा हो जाता है। जुकाम होने से नाक बंद होने पर, नाक दबी होने पर, जीभ बहुत अधिक लम्बी होने, टॉन्सिल बढ़े होने पर खर्राटे आ सकते हैं। मोटे व्यक्ति, शराब का नशा करने पर, गले की मांसपेशियां ढीली होने जाने पर या बहुत अधिक थकान होने पर भी सोते समय खर्राटे आ सकते हैं। अगर गर्भवती महिलाओं को भी खर्राटे आने लगते हैं तो यह शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ने का संकेत है। अगली बार  जब वह डॉक्टर के पास जाएं तो खर्राटों के बारे में परामर्श जरूरी ले लें। अक्सर खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को स्वयं यह एहसास नहीं होता कि वह खर्राटे लेता है।
नाक में पाई जाने वाली सैप्टम दीवार के टेढ़े होने जाने या किसी अन्य कारण से नाक में सांस लेने के मार्ग में रुकावट उत्पन्न हो जाती है। गले और जीभ में पाई जाने वाली मांसपेशियां जब ढीली हो जाती हैं तो ये भी श्वसन मार्ग में अवरोध बनने लगती हैं। या फिर मोटापे की समस्या होने पर गले के ऊतकों का आकार बढ़ जाता है, जिससे मोटे व्यक्ति सोते समय खर्राटे लेने लगते हैं।
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खर्राटे से कैसे बचें

खर्राटों से बचने के लिए सबसे जरूरी यह है कि हम पीठ के बल नहीं लेटें बल्कि किसी भी एक तरफ करवट लेकर सोएं। अगर आपका वजन ज्यादा है तो इसे कम करने का प्रयास करें। खर्राटे के लिए योग, व्यायाम एवं प्राणायाम करने से भी इस समस्या में कमी आती है। कपालभाति और उज्जायी प्राणायाम करने वालों को खर्राटों से राहत मिलती है। वजन नियंत्रण में लाने से भी खर्राटे की समस्या कम हो सकती है। शराब, सिगरेट, अन्य नशीले पदार्थ और कोल्ड ड्रिंक का सेवन बन्द कर दें, इससे भी खर्राटों में कमी आती है। अगर बन्द नहीं कर सकें तो भी यह ध्यान रखें कि सोने से कम से कम 3-4 पहले से इन पदार्थों का सेवन नहीं करें। रात को सोने से पहले ठंडी वस्तुओं के सेवन से परहेज और गर्म पानी पीना खर्राटे बन्द करने के लिए लाभकारी रहता है। स्लीपिंग पिल्स और दूसरी दवाईयां अधिक मात्रा में लेने से भी खर्राटे आते हैं।

खर्राटों से बचने के लिए पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है। बच्चों को 9 से 10 घंटे और बड़ों को 7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है। सोते समय अगर सिर को थोड़ा ऊंचा रखा जाए तो भी खर्राटों से बचा जा सकता है।

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खर्राटों के घरेलू उपचार

रात को सोने से पहले और दिन में एक-एक चम्मच सरसों के तेल में लहसुन शहद खाने से भी खर्राटों से निजात मिलती है। मिलाकर हल्का गर्म कर इसे गले और सीने पर मालिश करने से श्वास मार्ग खुलता है और खर्राटे बन्द करने का यह आसान उपाय है। अगर सूखी हवा, ठंडी हवा या एलर्जी के कारण खर्राटे आ रहे हैं, तो पेपरमिंट के तेल की एक-दो बूंदे एक गिलास पानी में मिलाकर रात को सोने से पहले गरारे करें। रात को सोने से पहले आधा चम्मच ऑलिव ऑइल को शहद में मिलाकर सेवन करने से गले में वायुमार्ग के टिश्यूज को राहत मिलती है और सूजन कम होने से खर्राटों में राहत मिलती है। नाक बन्द होने के कारण खर्राटों की समस्या है तो गर्म पानी में यूकेलिप्टस का तेल मिलाकर उसकी भाप लेने से भी राहत मिलती है।
खर्राटों से बचने के लिए रोज कम से कम 3-4 लीटर पानी पीना भी फायदेमंद हो सकता है। आजकल बाजार में नेजल स्ट्रिप भी उपलब्ध हैं, जिन्हें सोते वक्त नाक पर लगा लेने से नाक के वायुमार्ग की रुकावट खुल जाती है। अगर खर्राटे मुंह या गले में रुकावट के कारण आ रहे हैं तो उसके लिए भी डिवाइस बाजार में उपलब्ध हैं। हालांकि यहां ध्यान देने की बात है कि ये सभी उपाय उन लोगों पर ही कारगर हैं जो ओ एस ए यानी ओब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया की बीमारी से पीड़ित नहीं हैं।
वैसे तो इन उपायों से ही खर्राटों की समस्या पर काबू पाया जा सकता है लेकिन यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है।

Obstructive Sleep Apnea in Hindi

ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया क्या है    

जरूरी नहीं कि सभी खर्राटे किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हों लेकिन अगर खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को दिन में नींद अधिक आए, सोते वक्त नाक से आवाज आए, सोने हुए बेचैनी या घुटन महसूस हो, गले में खराश रहती हो, सुबह के वक्त सिर में दर्द रहता हो या किसी बात पर ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती हो, तो यह ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया का संकेत हो सकता है। ऐसे मामले में देरी नहीं करें और तत्काल किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से सम्पर्क करें। आजकल खर्राटों और नींद से जुड़ी समस्याओं की पहचान के लिए डॉक्टर पॉलीसोम्नोग्राफ Polysomnograph टेस्ट की भी मदद लेते हैं।
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