keshav baliram hedgewar biography in hindi
केशव राव बलिराम हेडगेवार की जीवनी
केशव राव बलिराम हेडगेवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना के लिए जाना जाता है. श्री हेडगेवार द्वारा स्थापित यह संगठन आज दुनिया के सबसे बडे़ सांस्कृतिक संगठनों में से एक बन चुका है.
केशव राव बलिराम हेडगेवार का प्रारम्भिक जीवन
केशव राव बलिराम हेडगेवार का हेडगेवार जयंती - जन्म dr hedgewar birthday 1 अप्रेल, 1889 को महाराष्ट्र के नागपुर में एक मराठी ब्राह्मण परिवार k. b. hedgewar caste में हुआ. उनके पिता का नाम बलिराम पंत हेडगेवार था और माता का नाम रेवती हेडगेवार था. केशव राव हेडगेवार से 13 साल की उम्र में ही प्लेग के कारण माता-पिता का साया उठ गया. उनके बड़े भाइयों महादेव पंत और सीताराम पंत ने उनके जीवन और शिक्षा की व्यवस्था की.
डॉ हेडगेवार जीवन परिचय baliram pant hedgewar
बचपन से ही केशव राव हेडगेवार के मन में देश के प्रति अगाध प्रेम था. अपने स्कूल में एक बार उन्हें वन्देमातरम गाने की वजह से रस्टीकेट कर दिया गया. वे एक मेधावी विद्यार्थी थे और इसी वजह से वे चिकित्सा की पढ़ाई के लिए कलकत्ता पहुंच गए. वहा वे हिन्दु महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.एस मुंजे के संपर्क में आए.
केशव राव बलिराम हेडगेवार द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना
केशव राव बलिराम हेडगेवार तत्कालीन ब्रिटिश राज सेदेश को मुक्त करवाने के लिए आजादी की लड़ाई से जुड़ गए. 1920 तक उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांगे्रस के माध्यम से आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया. लेकिन उनका जल्दी ही कांग्रेस के सिद्धांतों और नीतियों से मोह भंग हो गया. 1923 में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद हेडगेवार का मोह पूरी तरह कांग्रेस से खत्म हो गया और वे कांग्रेस के विकल्पों पर अपना ध्यान केन्द्रीत करने लग गए.
उन पर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और विनायक दामोदर सावरकर के विचारों का बहुत प्रभाव पड़ा. वे मानने लग गए कि हिन्दू धर्म की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत ही इस देश का आधार है. इसी विचार को ध्यान में रखते हुए केशव राव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में दशहरा के दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की.
इस संगठन का मुख्य उद्देश्य देश को विदेशी शासन से मुक्त करवाना और हिन्दू संस्कृति के वैभव को दोबारा लौटाना था. संगठन से युवाओं को जोड़ने के लिए शाखाओं का निर्माण किया गया. इन शाखाओं में देश भक्ति पर भाषण किया जाता था. प्रार्थनाएं की जाती और भारत माता की जय का उद्घोष किया जाता. 1936 में इस संगठन की महिला शाखा भी बना दी गई.
इस संगठन से भैया जी दानी, बाबा साहब आप्टे, बाला साहब देवरस और मधुकर राव भागवत जैसे लोग जुड़े. जल्दी ही यह संगठन नागपुर सहित पूरे देश में फैल गया. इसके लिए हेडगेवार ने भारत भर में यात्राएं की और युवाओं को संगठन से जोड़ा. वे डाॅक्टर जी के नाम से विख्यात हुए.
केशवराव बलिराम हेडगेवार का राजनीतिक जीवन
केशवराव बलिराम हेडगेवार ने भारत की आजादी की लड़ाई में युवाओं को हिन्दू राष्ट्रवाद के झण्डे के तले एकत्रित किया और अपने भाषणों से उनमें स्वराष्ट्र की धारणा जगाई. हालांकि वे कांग्रेस के आंदोलनों से दूर रहे और अपने तरीके से भारत की आजादी की लड़ाई में योगदान दिया.
केशवराव बलिराम हेडगेवार का अंतिम समय
केशवराव बलिराम हेडगेवार अपने आखिरी दिनों में अपनी खराब सेहत की वजह से परेशान थे. उनकी पीठ में असहनीय दर्द था. इस वजह से उन्होंने संगठन का कार्य गोलवलकर को सौंप दिया जो उनके बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक बने.
1940 में वे बिहार के राजगीर में अपना इलाज कराने गए और संघ शिक्षा वर्ग के समारोह को सम्बोधित किया जो उनका आखिरी सम्बोधन था. उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि आज मैं अपनी आंखों के सामने हिन्दू राष्ट्र का लघु स्वरूप देख रहा हूं. 21 जून 1940 को नागपुर में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए. नागपुर के रेशम बाग में उनका अंतिम संस्कार किया गया जिसे अब हेडगेवार स्मृति मंदिर के नाम से जाना जाता है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में हेडगेवार के लिए लिखा कि वे भारत माता के महान सपूत थे.
keshav baliram hedgewar quotes
1. जीवन में अनुशासन के लिए निस्वार्थ भावना सबसे जरूरी चीज है.
— Dr Hedgewar डा. हेडगेवार
2. देशभक्ति को स्थायी भाव बनाने के लिए संस्कार निर्माण सबसे पहली आवश्यकता है.
— Dr Hedgewar डा. हेडगेवार
3. राष्ट्र निर्माण के पथ पर फूल बिछे हो या कांटे, इसकी परवाह किए बिना उस पथ पर बढ़ जाने वाले दृढ़ निश्चयी युवाओं से ही यह राष्ट्र आगे बढ़ेगा.
— Dr Hedgewar डा. हेडगेवार
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4. इस धरती को भारत माता कहने के पीछे उस पवित्र दृष्टि को इंगित करना है जो यह बताता है कि उसका आधार यह भूमि है और इसी पवित्र विचार की वजह से यहां का हिंदू समाज संस्कृति के सूत्र में गुंथा हुआ है.
— Dr Hedgewar डा. हेडगेवार
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5. हिन्दू समाज की युवा पीढी में संस्कार का निर्माण ही परम उद्देश्य है.
— Dr Hedgewar डा. हेडगेवार
6. भारतीय समाज को संगठित करके ही राष्ट्र को जागृत किया जा सकता है. यही सबसे बड़ी राष्ट्र सेवा है.
— Dr Hedgewar डा. हेडगेवार
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