Indian Astrology in Hindi : पुखराज कैसे पहचानें और कैसे धारण करें
Know all about Topaz (Yellow Sapphire)
@hindihaat
        रत्नशास्त्र में पुखराज Topaz एक महत्वपूर्ण रत्न है। यह दुःख और दरिद्रता का नाशक रत्न है। पुखराज सांसारिक कष्टों को दूर करने तथा कमजोर आर्थिक स्थिति को ठीक करने के उपाय के लिए धारण किया जाता है। बृहस्पति ग्रह के इस रत्न को धारण करने से पहले इसकी गुणवत्ता, इसके शोधन तथा इसे धारण करने की विधि के बारे में जानना जरूरी है ताकि धारण करने के बाद इसका सही फल मिल सके।
        पुखराज को संस्कृत में पुष्पराग, पीतमणि, गुरुरत्न, गुरुप्रिय, और पुष्पराज भी कहते हैं। पीले रंग की इस पारदर्शी मणि को अंग्रेजी में टोपाज एवं यलो सफायर और फारसी में याकूत एवं अस्फर के नाम से भी जाना जाता है। पुखराज पीले रंग के अलावा सफेद, हल्का नीला, भूरा और गुलाबी भी होता है। पीले पुखराज को ताप पहुंचाया जाए तो यह गुलाबी रंग का हो जाता है।
पुखराज के प्रकार
Types of Pukhraj (Topaz)
        खनिजशास्त्र की दृष्टि से पुखराज दो प्रकार का होता है। एक प्रकार का पुखराज कुरुविंद वर्ग का खनिज होता है जो एलुमिनियम और ऑक्सीजन का यौगिक Compound of Aluminium and Oxygen होता है। यह कठोर और पीले रंग का होता है। खनिजशास्त्र की भाषा में इसे ओरियंटल टोपाज Oriental Topaz कहा जाता है। ऐसे पुखराज की उपलब्धता कम है। श्रीलंका की खानों के अलावा यह म्यांमार के मंगोक Mongok Mines of Myanmar में पाया जाता है। 
दूसरी प्रकार का पुखराज सिकता वर्ग का खनिज है। यह सिलिकॉन खनिज एलुमिनियम, ऑक्सीजन और सिकता जल का यौगिक है। इसे प्रीशयस टोपाज Precious Topaz भी कहते हैं। इस प्रकार के पुखराज का रंग सफेद, पीला, हल्का नीला, भूरा और हल्का गुलाबी होता है। इसकी उपलब्धता श्रीलंका के अलावा ब्राजील और यूराल पर्वत श्रेणी की खानों में है।
उत्तम प्रकार का पुखराज कौनसा है
Which Pukhraj is Good
साफ, एकसार, लोचदार, चिकना, वजनदार, कोमल स्पर्श और स्वर्णआभा वाला, चमकीला, पीला और गोल पुखराज श्रेष्ठ माना जाता है। जिस पुखराज में कहीं-कहीं अमलतास Cassia Fistula के फूल जैसी पीली वर्णमाला की झलक हो वह पुखराज भी उत्तम माना जाता है। खानों के अनुसार म्यांमार में मंगोक की खानों से निकलने वाला कठोर, चिकना, सुन्दर तथा लोचदार पुखराज अतिउत्तम होता है। ब्राजील तथा श्रीलंका की खानों का पुखराज उत्तम होता है। वहीं यूराल पर्वत श्रंखला और जापान की खानों से निकलने वाला पुखराज गुणों के अनुसार साधारण होता है।
अनुपयोगी पुखराज और 9 दोष
Defective Topaz and 9 Defects of Pukhraj
        अनुपयोगी पुखराज धारण करने से इसका फल नहीं मिल पाता है। चमकहीन, खुरदरा, रूखा, काली छाया देने वाला, बालूकायुक्त तथा पाण्डु व कपिल वर्ण का पुखराज उपचार के लिए उचित नहीं होता। रत्नशास्त्र के अनुसार पुखराज में कई प्रकार के दोष होते हैं परन्तु ज्योतिषशास्त्र के अनुसार निम्न नौ दोष वाले पुखराज धारण करना वर्जित माना गया है।
- प्रभाहीन अर्थात शून्य चमक वाला
- दूधक अर्थात दूधिया आभा वाला
- द्वि—वर्णी अर्थात दो रंगों वाला
- सफेद और काले बिंदुओं वाला
- गड्ढों वाला
- चीर तथा लेस वाला
- जालीदार
- धागे जैसे चिह्नों वाला
- अत्यधिक पारदर्शी
पुखराज के वर्ण
Classes of Topaz
        रत्नशास्त्र के अनुसार पुखराज वर्णों के आधार पर चार प्रकार का होता है। गुणवत्ता के अनुसार पीली आभावाला, सफेद या स्वच्छ पीला पुखराज ब्राह्मण वर्ण का होता है। गुलाबी वर्ण की आभा देने वाला पुखराज क्षत्रिय वर्ण का होता है। बहुत ज्यादा पीले रंग का पुखराज वैश्य वर्ण का होता है। काली तथा नीली झांई वाला दागदार और कटा-फटा पुखराज शूद्र वर्ण का होता है।
पुखराज के शोधन की विधि
Purification of Pukhraj
        कई विधियों से पुखराज को शुद्ध किया जा सकता है। कुलत्थ के अर्क में खट्टी कांजी के साथ तीन घंटे तक दोलायंत्र में उबालने से इसे काफी हद तक शुद्ध किया जा सकता है। इसके अलावा नीलम और माणिक्य की तरह पुखराज को नीम्बू के रस या खट्टी कांजी में तीन दिन तक कर शुद्ध किया जा सकता है। इस विधि में तीन दिन के बाद पुखराज को साफ और ठंडे पानी से धोना जरूरी होता है।
पुखराज को धारण करने से पहले इस रत्न को ऊपर बताई गई दो विधियों में से किसी एक विधि से शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके बाद इसे पीली धातु अर्थात सोने या पीतल में जड़ाना चाहिए। पुखराज धारण करने और इसके फल प्राप्त करने के लिए दो समय सबसे शुभ बताए गए हैं। बृहस्पति स्वामी वाले इस रत्न को गुरु पुष्य योग में या बसंत ऋतु में धारण करना चाहिए।
कैसे धारण करें पुखराज
How to Wear Pukraj
पुखराज को धारण करने से पहले इस रत्न को ऊपर बताई गई दो विधियों में से किसी एक विधि से शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके बाद इसे पीली धातु अर्थात सोने या पीतल में जड़ाना चाहिए। पुखराज धारण करने और इसके फल प्राप्त करने के लिए दो समय सबसे शुभ बताए गए हैं। बृहस्पति स्वामी वाले इस रत्न को गुरु पुष्य योग में या बसंत ऋतु में धारण करना चाहिए।
पुखराज के ज्योतिषीय लाभ
Astrological Benefits of Topaz
        यदि किसी पर सांसारिक कष्टों का ज्यादा असर हो रहा हो तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। वहीं आर्थिक स्थिति खराब होने पर और दोस्तों तथा नातेदारों से परेशानी मिलने पर इसे पहनने की सलाह दी जाती है। संतान प्राप्ति में अड़चन होने पर भी सवा पांच से सवा दस रत्ती का पुखराज तर्जनी में धारण करने का सुझाव दिया गया है। रत्न चिकित्सा Gem Stone therapy के अनुसार पुखराज पहन कर कई गम्भीर बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है तथा इनका ईलाज भी किया जा सकता है। पुखराज धारण कर गठिया और सिरदर्द का ज्योतिषीय उपचार जानने के लिए यह आर्टिकल पढ़ें
पुखराज का विकल्प
Substitute of Pukhraj
        कीमत में महंगा होने के कारण कई बार शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाला पुखराज धारण करना सभी के लिए सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे में अशुद्ध और दोषयुक्त पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि बनावटी उपरत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए। दोषपूर्ण पुखराज पहनना हितकर नहीं होता है। पुखराज अगर शुद्ध और गुणवत्ता वाला नहीं मिले तो इसके स्थान पर धुनैला या स्फटिक तथा सुनैला पहना जा सकता है।
नोटः- यद्यपि यह आर्टिकल ज्योतिषशास्त्र के विद्वानों से मिली जानकारी और उनके द्वारा लिखित साहित्यों पर आधारित है। फिर भी हिंदीहाट इसके धारण करने से मिलने वाले फलों का दावा नहीं करता।
 



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